हम चाहे कितने भी बढ़े हो जाये लेकिन अपने माता-पिता के सामने हमेशा बच्चे ही रहते है। वही है जो हमारे से कुछ लेने की उम्मीद नही बल्कि देने की चाह रखते है हमारे हर कदम पर वह साथ रहते है, हमारी हर गलती को माफ करते है। हमारे हर गम को वह अपना गम समझते है ।
तो आइए पिता जी के बारे में दो कविताए आपके सामने प्रस्तुत है।
PAPA |
कविता -1
“मेरे जीवन का सार है पापा,
मेरा सुख, संसार है पापा”
“मैरे फर्ज निभाते है पापा,
मेरे कर्ज चुकाते है पापा”
“मेरे हंसने से हसते है पापा,
मेरे रोने से रोते है पापा”
“मेरी इच्छा पुरी करते है,
भले ही मन मे संकोच है आता”
“और ऐसा कहते मेरे पापा,
तेरी सुखी में मेरी खुशी”
“यह सुन मेरा दिल भर आता
जीवन की कमजोर कड़ी मे
हर पल हर दम साथ निभाते है पापा”
मेरे जीवन का सार है पापा,
मेरा सुख, संसार है पापा।
—रचना मोगरे–
कविता-2
“मेरे पापा मेरा कभी भी रास्ते में हाथ नही पकड़ते क्योकि वह चहाते है कि
मै बिना सहारे के चल संकु।”
“मेरे पापा पहली बार में कभी मेरी इच्छा पुरी नही करते है क्योकि कि
वह मुझे सिखाना चाहते है कि जिन्दगी इतनी आसान नही है, तुम्हे तुम्हारी चाहत के लिए लड़ना होगा।”
“मेरे पापा मुझसे पहली बार में कभी सहमत नही होते क्योकि वह चहाते है कि
मैं उस चीज के लिए बहस करू जिसके लिए मै वास्तव में हकदार हॅू। “
“मेरे पापा पहली बार में कभी मदद नही करते क्योकि कि वह चहाते है कि
मै जीवन कि रूकावटो से लड़ने की हर कामयाब कोशिश करू।”
—आयुष मोगरे–