postitve think, sakratmak soch
सकारात्मक सोच
आज मैं आपके सामने एक गृहणी के द्वारा नकारात्मक पहलु को कैसे सकारात्मक में बदल दिया गया है को लेकर आया हूॅ।
एक महिला की आदत थी, कि वह हर रोज सोने से पहले, अपनी दिन भर की खुशियों को एक काग़ज़ पर, लिख लिया करती थीं…. एक रात उन्होंने लिखा :
*मैं खुश हूं,* कि मेरा पति पूरी रात, ज़ोरदार खर्राटे लेता है. क्योंकि वह ज़िंदा है, और मेरे पास है. ये ईश्वर का, शुक्र है..
*मैं खुश हूं,* कि मेरा बेटा सुबह सबेरे इस बात पर झगड़ा करता है, कि रात भर मच्छर – खटमल सोने नहीं देते. यानी वह रात घर पर गुज़रता है, आवारागर्दी नहीं करता. ईश्वर का शुक्र है..
*मैं खुश हूं,* कि, हर महीना बिजली, गैस, पेट्रोल, पानी वगैरह का, अच्छा खासा टैक्स देना पड़ता है. यानी ये सब चीजें मेरे पास, मेरे इस्तेमाल में हैं. अगर यह ना होती, तो ज़िन्दगी कितनी मुश्किल होती ? ईश्वर का शुक्र है..
*मैं खुश हूं,* कि दिन ख़त्म होने तक, मेरा थकान से बुरा हाल हो जाता है. यानी मेरे अंदर दिन भर सख़्त काम करने की ताक़त और हिम्मत, सिर्फ ईश्वर की मेहर से है..
*मैं खुश हूं,* कि हर रोज अपने घर का झाड़ू पोछा करना पड़ता है, और दरवाज़े -खिड़कियों को साफ करना पड़ता है. शुक्र है, मेरे पास घर तो है. जिनके पास छत नहीं, उनका क्या हाल होता होगा ? ईश्वर का, शुक्र है..
*मैं खुश हूं,* कि कभी कभार, थोड़ी बीमार हो जाती हूँ. यानी मैं ज़्यादातर सेहतमंद ही रहती हूं. ईश्वर का, शुक्र है..
*मैं खुश हूं,* कि हर साल त्यौहारो पर तोहफ़े देने में, पर्स ख़ाली हो जाता है. यानी मेरे पास चाहने वाले, मेरे अज़ीज़, रिश्तेदार, दोस्त, अपने हैं, जिन्हें *तोहफ़ा दे सकूं. अगर ये ना हों, तो ज़िन्दगी कितनी बेरौनक* हो..? ईश्वर का, शुक्र है..
*मैं खुश हूं,* कि हर रोज अलार्म की आवाज़ पर, उठ जाती हूँ. यानी मुझे हर रोज़, एक नई सुबह देखना नसीब होती है. ये भी, ईश्वर का ही करम है..
हम अपने जीवन में हर पहलु को नकारात्मक में लेते है। किन्तु यदि हम हर पहलु को इस तरह सकारात्मक नजरिये से देख तो जीवन में सकारात्मक सोच का महत्व बढ़ जाता है और जिन्दगी बहुत ही आन्नदमय हो जाती है तथा सकारात्मक सोच की षक्ति हमेषा जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है और यदि हम हर पहलु में नकारात्मक ही देखेगे तो नकारात्मक सोच का नुकसान हमे आगे बढ़ने में एक ऊंची दिवार के सामन दिखाई देगा। सकारात्मक सोच की कला आपको कभी भी जीवन में निराष नही होने देगी। अब आपके हाथो में सकारात्मक और नकारात्क सोच का निर्णय है कि हमें हर पहलु से ’’सकारात्मक सोचना है या नकारात्मक’’
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