प्राचीन समाजों में सिनबार (cinnabar) से रंगे दांतों का महत्व पहले कभी लेखित नहीं किया गया है। Archaeological and Anthropological Sciences में इस स्टडी को प्रकाशित किया गया है। स्टडी कहती है कि यह पहला मामला देखा गया है जब दांतों पर सिनबार लगा हुआ पाया गया है। टेक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ डेंटिस्ट्री में बायोमेडिकल साइंसेज के प्रोफेसर Qian Wang के मुताबिक, दुनिया भर में किसी अन्य प्राचीन दफनाने की प्रथा में इस तरह का चलन नहीं देखा गया है।
दांतों पर लगे इस लाल के पदार्थ का स्पेक्ट्रास्कोपी की मदद से विश्लेषण किया गया। विश्लेषण में पाया गया कि इसमें सिनबार मौजूद है जो कि एक पशु प्रोटीन के साथ है। यह संभावित रूप से अंडे की जर्दी, या अंडे के सफेद हिस्से जैसा कोई प्रोटीन है जो सिनबार को इस पर लगाने की प्रकिया को सुविधाजनक बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया हो सकता है।
हालांकि, यह लाल रंग का पदार्थ दांतों पर क्यों लगाया गया होगा, इसका कारण अभी तक साफ नहीं हो पाया है। एक्सपर्ट मान रहे हैं कि इसका संबंध कॉस्मेटिक प्रथाओं, सामाजिक स्थिति, या शामनवादी अनुष्ठानों से हो सकता है। इस क्षेत्र में अन्य दफनाए गए अवशेषों में चेहरे पर चित्रकारी और टैटू के साक्ष्य मिले हैं, जो शरीर को सजाने की व्यापक परंपराओं की संभावना को दर्शाते हैं।
चीन के झिंजियांग क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से सिनेबार भंडार नहीं मिलते हैं। जिसका मतलब है कि यह पदार्थ संभवतः पश्चिमी एशिया, यूरोप या चीन के अन्य भागों से आयात किया गया था। पारे से कुछ स्वास्थ्य संबंधी खतरे भी हो सकते हैं। इससे तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंच सकता है। हलांकि महिला अवशेषों की हड्डियों में इस तरह का नुकसान नहीं पाया गया।
लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।