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kay kay Menon On Special Ops Season 2 | ‘AI में दिलचस्पी रखने वालों से मुझे जलन होती है’: केके मेनन बोले- ‘स्पेशल ऑप्स-2 का ट्रेलर देख सहम गया था, इसका हिस्सा बनकर प्राउड हूं

kay kay Menon On Special Ops Season 2 | ‘AI में दिलचस्पी रखने वालों से मुझे जलन होती है’: केके मेनन बोले- ‘स्पेशल ऑप्स-2 का ट्रेलर देख सहम गया था, इसका हिस्सा बनकर प्राउड हूं


48 मिनट पहलेलेखक: भारती द्विवेदी

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नीरज पांडे और एक्टर केके मेनन की मोस्ट अवेटेड सीरीज ‘स्पेशल ऑप्स’ का दूसरा सीजन 11 जुलाई को स्ट्रीम होने जा रहा है। इस बार सीरीज में रॉ ऑफिसर हिम्मत सिंह यानी केके मेनन का सामना साइबर टेररिज्म से होने वाला है। सीरीज के ट्रेलर में हिम्मत सिंह का अनोखा अंदाज और उनके एजेंट्स का जबरदस्त एक्शन देखने मिल रहा है।

डेटा वॉर और साइबर टेररिज्म के बीच फंसे हिम्मत सिंह का अंदाज को ऑडियंस से खूब प्यार मिल रहा है। दैनिक भास्कर से खास बातचीत में केके मेनन ने हिम्मत के नए अंदाज, साइबर वॉर और AI पर बात की है।

केके, दूसरा सीजन लंबे गैप के बाद आ रहा है। इस दौरान आपने ओटीटी के लिए बहुत सारा काम किया है। ऐसे में हिम्मत सिंह के किरदार को कैसे मेंटेन रखा?

मैंने हिम्मत के किरदार को पकड़कर रखा था। सबसे पहले तो मैं कहूंगा कि पांच साल का गैप नहीं हैं। पहले सीजन के बाद हमने ‘स्पेशल ऑप्स 1.5’ किया था तो ऐसे में दूसरे सीजन के लिए ढाई साल का गैप रहा है। अगर आपने ट्रेलर देखा होगा तो ये बहुत बड़ी चीज है। इतनी बड़ी चीज को बनाने में टाइम को लगता है। जहां तक हिम्मत सिंह का सवाल है, तो वो मेरे अंदर था। बस इतना होता है कि हर बार किरदार आसान होते जाता है। मैं बस इतना देखता हूं कि इस बार क्या नया पहलू नीरज ने लिखा है। एक बार वो पहलू समझ आ जाए फिर काम करने में मजा आता है। बाकी हिम्मत सिंह तो हिम्मत सिंह ही है।

इस बार हिम्मत सिंह का सामना साइबर टेररिज्म से है। बतौर केके मेनन आपके लिए क्या चुनौतियां रहीं?

मैं अपनी बात करूं तो मेरे लिए साइबर की दुनिया प्रॉब्लमैटिक है। मैं इसके बारे में कुछ खास जानता नहीं हूं लेकिन इस दौरान मैंने काफी कुछ सीखा लिया था। जानने के बाद लगा कि मजेदार एरिया है। टेक्नोलॉजी हर तरह से अच्छी ही होती है, इसके पीछे का इंसान अच्छा या बुरा होता है। वो इस चीज का इस्तेमाल कैसे करते हैं, ये उस पर निर्भर होता है। लेकिन मैं कहूंगा कि साइबर की दुनिया आकर्षक है। हमें चीजें समझाने के लिए सेट पर काफी सारे एक्सपर्ट थे। जब आप देखेंगी तो आपको भी बड़ा मजा आएगा।

असल जिंदगी में आप कितने टेक्नोलॉजी फ्रीक हैं?

मैं इस मामले में थोड़ा हैंडीकैप्ड हूं। मैं इन चीजों को नहीं जानता हूं। मैंने पहले भी बताया है कि मेरा सबसे पहला ईमेल आईडी साइबर रिलक्टंट था।

'स्पेशल ऑप्स' पहला सीजन 2020 में आया था।

‘स्पेशल ऑप्स’ पहला सीजन 2020 में आया था।

अभी के समय में AI और टेक्नोलॉजी का बोलबाला है। ऐसे में आपने दूरी क्यों बनाई है?

मुझे लगता है कि कभी कभार इंसान का इंसान बने रहने में ही फायदा होता है। आर्टिफिशियल चीजें मुझे थोड़ी खटकती हैं, चाहे वो इंटेलिजेंस ही क्यों ना हो। अक्सर मुझे पूछा जाता है कि आप टेक्नोलॉजी में दिलचस्पी क्यों नहीं लेते। मुझसे कभी ये नहीं पूछा जाता कि आप स्विमिंग में ओलंपिक्स में क्यों नहीं जाते। ये भी उतनी ही अच्छी चीज है। ऐसा नहीं होना चाहिए कि एक कोई चीज है, तो उसके पीछे होड़ लग जाए। बस इतनी सी बात है कि मेरी इनमें कम रुचि है।

मैं एआई या तकनीक से नफरत नहीं करता हूं। मैं बहुत ही सकारात्मक तरीके से इस बात को कह रहा हूं कि तकनीक के लेकर रिलक्टंट होना मेरी कमजोरी है। लेकिन जो लोग इन चीजों में दिलचस्पी रखते हैं, मैं उनसे ईर्ष्या भी करता हूं कि वो काफी अच्छा करते हैं। अगर मैं रील की बात करूं तो मुझे वो आकर्षक लगता है कि कैसे लोग चुटकी बजाते रील बना लेते हैं। मुझे एक फोटो खींचने के लिए भी सोचना पड़ता है। ये अपने आप में एक हुनर है, जिसकी मैं सराहना करता हूं।

केके, ट्रेलर में आपके गाली वाले सीन को फैंस काफी पसंद कर रहे हैं। आप ऐसे सीन को इतने सटल तरीके से कैसे करते हैं?

बस इतना कहूंगा कि उस शब्द को गाली न समझें। ये धारण की बात होती है। अगर मैं धारण रखूंगा कि कुछ गलत बोल रहा हूं तो गाली लगेगा। उसे मैं शब्दों के आभास की वजह से बोल रहा हूं, वो अलग बात है। बहुत सारे लोग होते हैं,जिनके पास शब्द नहीं होते है। वो गाली से शब्द को पूरा करते हैं। ये नहीं करना चाहिए। वाक्य का जो हार होता है, गाली को उसी का हिस्सा समझकर बोल दें तो वो भी हार का हिस्सा बन जाता है।

गाली स्क्रिप्ट का हिस्सा होता है या आप अपने तरफ से उसे जोड़ते हैं?

हां, स्क्रिप्ट का हिस्सा होता है, मैं ऐसे थोड़ी गाली दूंगा। देखो, नीरज पांडे के साथ एक बात है। मेरे 30 साल के करियर में वो बेस्ट राइटर हैं, जिन्हें मैं जानता हूं। उनका लिखा एक एक्टर के लिए सब कुछ खोलकर रख देता है। मुझे अपनी तरफ से बहुत कम करना पड़ता है। वो ऐसा लिखते है कि मुझे वो विजुअली भी दिखता है। उसका किरदार और बिहेवियर भी दिखता है। ऐसा बहुत कम लोग कर पाते हैं। इससे ये होता है कि एक्टर का काम बहुत कम हो जाता है। हमें बस 30-40 फीसदी ही काम करना पड़ता है। बाकी सारा काम राइटिंग की वजह से हो जाता है।

मैं उनकी लाइन से टस से मस नहीं होता हूं। जब आप कई सारे स्क्रिप्ट पढ़ते हैं तो आपको पता होता है कि इस बंदे ने बहुत सारा काम किया है। बस यूं ही कुछ नहीं लिख दिया है। जो लाइन लिखी गई है, वो अपने आप पूरी तरह परिपक्व है। आप उसे बदल नहीं सकते हैं। आपका मन ही नहीं करेगा उसे बदलने का।

कई एक्टर्स होते हैं, जो लाइन बदल देते हैं। ऐसा तब करिए जब आपको इतनी जानकारी हो कि राइटर ने सही रिसर्च नहीं किया है। लेकिन नीरज की स्क्रिप्ट में इसकी गुंजाइश ही नहीं होती। यहां पर सब कुछ लिखा हुआ होता है। गाली, आधी गाली सब कुछ लिखा हुआ होता है। उसे स्क्रीन पर किस तरह प्रेजेंट करना है, ये मेरा काम होता है।

पहला सीजन कोविड के दौरान आया था। उस टाइम ओटीटी अपने पीक पर था। अब ओटीटी पर कंटेंट की भरमार है। लंबे गैप के बाद दूसरा सीजन आ रहा है। इसे लेकर कोई डर है?

आप गलत इंसान से ये सवाल पूछ रही हैं। मैं डर में नहीं जीता। मैं उस प्रकार का इंसान हूं ही नहीं। मेरी जिंदगी के चालीस दिन जा चुके हैं, जो दोबारा नहीं आने वाला है। मैंने उन चालीस दिन को जिया है। उसके बाद मेरी फिल्म या शो का जो हश्र हो, मैं उस पर नहीं सोचता हूं। मेरी लाइफ की यही फिलॉसफी है। अगर इस उतार-चढ़ाव में मैं फंस जाऊं तो मैं आगे का काम नहीं कर पाऊंगा। मैं शुक्रवार से शुक्रवार तक जीता नहीं हूं। मेरे लिए वो चालीस दिन बेहद जरूरी हैं। वो चालीस दिन कैसे गुजरे वो बहुत जरूरी है। मुझे उसे लोगों के साथ एंजॉय करना चाहिए। मैं किसके साथ काम कर रहा हूं ये मेरे लिए बहुत महत्व रखता है।

जब कोई शो या फिल्म बनती हैं, तो मैं उन्हें एक पैदाइश कहता हूं। जो भी जन्म लेता है, उसकी अपनी किस्मत होती है। मैं अपना काम बहुत ईमानदारी, शिद्दत और मेहनत से करता हूं और उसके बाद उसे छोड़ देता हूं। हां, बाद में उससे जुड़ा सवाल पूछा जाता है, तो मैं उसका जवाब देता हूं। मैंने उस चीज को जिया है। काम तो पर्दे पर हमेशा रहेगा।

मैंने पहली बार जब ट्रेलर देखा तो मुझे इसका हिस्सा होने पर गर्व हुआ। मुझे एहसास हुआ कि इस नीरज ने बहुत बड़े स्केल पर बनाया है। जब मैंने ट्रेलर देखा तो मैं सहम गया। मैंने नीरज को बताया कि क्या कमाल बना है।

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