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Singer Yasser Desai mumbai Worli Sea Link | जानलेवा स्टंट या शूटिंग का हिस्सा?: मुंबई के वर्ली सीलिंक पर खड़े नजर आए सिंगर यासिर देसाई, वायरल वीडियो देखकर सुरक्षा पर उठे सवाल

Singer Yasser Desai mumbai Worli Sea Link | जानलेवा स्टंट या शूटिंग का हिस्सा?: मुंबई के वर्ली सीलिंक पर खड़े नजर आए सिंगर यासिर देसाई, वायरल वीडियो देखकर सुरक्षा पर उठे सवाल


56 मिनट पहले

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सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें प्लेबैक सिंगर यासिर देसाई मुंबई के वर्ली सीलिंक पर खड़े नजर आ रहे हैं। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वह वहां क्या कर रहे थे। क्या यह किसी प्रोजेक्ट का हिस्सा था या कुछ और। लेकिन जो भी हो इस तरह से सीलिंक पर खड़े होना खतरनाक है और सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं माना जा सकता। यहां खड़े होने की अनुमति भी नहीं है।

वहीं, इस वीडियो के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यह किसी म्यूजिक वीडियो का हिस्सा हो सकता है, जबकि कुछ का मानना है कि सिंगर आत्महत्या जैसा कोई कदम उठाने जा रहे हैं। इसके अलावा कुछ लोगों ने यह भी पूछा कि आखिर सीलिंक पर खड़े होने की अनुमति किसने दी?

बता दें, यासिर का जन्म मुंबई में हुआ था। उन्होंने 10 साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था। उनका सिंगर बनने का कोई प्लान नहीं था, पर उन्हें किस्मत ने यहां खींच लाया। उन्होंने दिल को करार आया, हुए बेचैन, आंखों में आंसू लेके, दिल मांग रहा है, पल्लो लटके, मखना, जैसे कई हिट गाने गाए हैं। इसके अलावा उन्होंने कई वेब सीरीज और टीवी सीरियल जैसे ‘जख्मी’, ‘बड़े भैया की दुल्हनिया’, ‘दिल संभल जा जरा’ आदि में अपनी आवाज दी है।

2009 में बना था वर्ली सीलिंक

मुंबई का बांद्रा-वर्ली सीलिंक। वो ब्रिज जिसने बांद्रा से वर्ली जाने वालों के सफर को एक घंटे से कम कर 10 मिनट का कर दिया। साल 2009 में इस ब्रिज को आम लोगों के लिए शुरू किया गया था। ये भारत का पहला 8 लेन और सबसे लंबा समुद्रीय ब्रिज है। इसकी लंबाई 5.6 किलोमीटर है।

रात में लाइटिंग की वजह से ब्रिज और भी खूबसूरत नजर आता है। ब्रिज की लाइटिंग पर ही 9 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।

रात में लाइटिंग की वजह से ब्रिज और भी खूबसूरत नजर आता है। ब्रिज की लाइटिंग पर ही 9 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।

इस ब्रिज के बनने से पहले बांद्रा से वर्ली जाने के लिए माहिम कॉजवे का इस्तेमाल करना पड़ता था। ये रास्ता लंबा तो था ही, मुंबई में वाहनों की संख्या बढ़ने के साथ ही इस रास्ते पर रोजाना जाम लगने लगा। इसके बाद बांद्रा को वर्ली से जोड़ने के लिए एक वैकल्पिक रास्ते की मांग उठने लगी थी।

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