आज मैं आपके सामने विश्वास और यकिन मं अंतर पर एक चरिर्थात कहानी ले कर आया हूॅ। जो आपके जीने का नजरीया बदल सकती है यह कहानी मेरे साथी ने मुझे फारवर्ड की थी जो मुझे बहुत अच्छी लगी
*जीवन बदलने वाली कहानी*
🙏 *विश्वास*🙏
*एक बार दो बहुमंजिली इमारतों के बीच बंधी हुई एक तार पर लम्बा सा बाँस पकड़े एक नट चल रहा था,उसने अपने कन्धे पर अपने बेटे को बिठा रखा था। सैंकड़ों,हज़ारों लोग दम साधे उस दृश्य देख रहे थे। सधे कदमों से, तेज हवा से जूझते हुए अपनी और अपने बेटे की ज़िंदगी दाँव पर लगा उस कलाकार ने दूरी पूरी कर ली।*
*भीड़ आह्लाद से उछल पड़ी, तालियाँ,सीटियाँ बजने लगीं,लोग उस कलाकार की फोटो खींच रहे थे,उसके साथ सेल्फी ले रहे थे। उससे हाथ मिला रहे थे उसके बाद वो कलाकार माइक पर आया और भीड़ को बोला
*”क्या आपको विश्वास है कि मैं यह दोबारा भी कर सकता हूँ।” भीड़ चिल्लाई हाँ! हाँ!!, तुम कर सकते हो। उसने पूछा :- क्या आपको विश्वास है। भीड़ पुनः चिल्लाई हाँ.! पूरा विश्वास है,हम तो शर्त भी लगा सकते हैं कि तुम सफलता पूर्वक इसे दोहरा भी सकते हो।*
*कलाकार ने पुनः बोला:- पूरा पूरा विश्वास है ना.! भीड़ बोली:- हाँ! हाँ!! कलाकार बोला:- तो ठीक है, कोई मुझे अपना बच्चा दे दे, मैं उसे अपने कंधे पर बिठा कर रस्सी पर चलूँगा,
फिर क्या सामने चुप्पी,खामोशी, शांति फैल गयी। कलाकार बोला:- “डर गए…!*
*अभी तो आपको विश्वास था कि मैं कर सकता हूँ। असल में आपका यह विश्वास (believe) है, मुझमें विश्वास (trust) नहीं है। दोनों विश्वासों (belive और trust) में फर्क है साहब..!”*
*यही कहना है , ईश्वर हैं ! ये तो विश्वास है! परन्तु ईश्वर में सम्पूर्ण विश्वास नहीं है । (You believe in God but you don’t trust him.) जरा सोचिए ! अगर ईश्वर में पूर्ण विश्वास है तो चिंता, क्रोध, तनाव क्यों?*
*Trust don’t simply believe*………