41 मिनट पहलेलेखक: वीरेंद्र मिश्र
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‘कुछ भीगे अल्फाज’, ‘शिकारा’ और ‘बेल बॉटम’ जैसी फिल्मों में काम कर चुके एक्टर जैन खान दुर्रानी की हाल ही में फिल्म ‘आंखों की गुस्ताखियां’ रिलीज हुई है। एक्टर ने दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान अक्षय कुमार की फिल्म ‘बेल बॉटम’ से जुड़ा किस्सा शेयर किया। उन्होंने बताया कि एक्शन सीन के दौरान अक्षय कुमार को उनके हाथ से चोट लग गई थी। फिर भी अक्षय कुमार ने गुस्सा करने के बजाय उन्हें एक्शन सीन करना सिखाया है। बातचीत के दौरान जैन खान ने और क्या कहा, पढ़िए उन्हीं की जुबानी..
फिल्म ‘बॉर्डर’ देखकर एक्टिंग की प्रेरणा मिली
एक बार मुझे स्कूल में परफॉर्म करने के लिए कहा गया। उसी समय मैंने फिल्म ‘बॉर्डर’ देखी थी। उसी फिल्म का एक सीन परफॉर्म कर दिया। सभी ने खूब तारीफ की। मुझे लगता है कि परफॉर्मिंग आर्ट का बीज वहीं पर जन्म लिया। मेरी मम्मी भी कॉलेज के समय नाटक करती थीं। उस वजह से भी एक्टिंग कहीं ना कहीं मेरे खून में था। 9वीं कक्षा में मैंने खुद एक नाटक लिखा, डायरेक्ट किया और उसमें लीड रोल किया। जम्मू कश्मीर में राज्य स्तर की प्रतियोगिता में इस नाटक का विनर रहा। धीरे- धीरे मेरे अंदर एक्टिंग के प्रति आत्मविश्वास बढ़ता गया।
लॉ या फिर यूपीएससी की तैयारी करने की सोच रहा था
कॉलेज की पढ़ाई करने दिल्ली आ गया। उस दौरान मैंने नाटक नहीं किए। कॉलेज वालों को भी नहीं पता था कि नाटकों में मेरी दिलचस्पी है। मैं लॉ या फिर यूपीएससी की तैयारी करने की सोच रहा था। मेरे पेरेंट्स भी यही चाहते थे। मैंने पापा से कहा कि दो साल का समय दो मैं मुंबई घूमकर आता हूं।
‘कुछ भीगे अल्फाज’ में मिला पहला ब्रेक
मैं 2014 में मुंबई आ गया। ऑडिशन देना शुरू किया तो मुझे बहुत मजेदार जर्नी लगी। मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि बहुत स्ट्रगल कर रहा हूं। मेरे पेरेंटस मुझे सपोर्ट कर रहे थे। मुझे पहली बार फिल्म ‘कुछ भीगे अल्फाज’ में काम करने का मौका मिला। यह फिल्म 2018 में रिलीज हुई। यह बहुत ही प्यारी फिल्म थी अभी भी मुझे इस फिल्म के लिए मैसेज आते रहते हैं। इस फिल्म का किरदार मेरी जिंदगी के बहुत करीब था।
रेडियो में ‘लम्हे विद जैन’ होस्ट किया
‘कुछ भीगे अल्फाज’ की वजह से मुझे 9.7 एफएम रेडियो में ‘लम्हे विद जैन’ होस्ट करने का मौका मिला। उस समय रेडियो पर कहानी सुनाने का ट्रेंड चल रहा था। यह सिलसिला साल भर चला।
विधु विनोद चोपड़ा का मुझ पर बहुत प्रभाव पड़ा
विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म ‘शिकारा’ के लिए अपनी पहली फिल्म ‘कुछ भीगे अल्फाज’ के समय ऑडिशन दिया था। उसी दौरान मेरी मुलाकात विनोद सर से हुई थी। वो कोई भी फिल्म थोड़ा समय लेकर बनाते हैं। पहली फिल्म के रिलीज के बाद ‘शिकारा’ की शूटिंग शुरू हुई थी। वो कश्मीर से हैं जहां से मैं हूं। वह भी मेरी तरह पंजाबी स्पीकिंग फैमिली से आते हैं। उन्होंने इंडस्ट्री में बहुत अच्छा काम किया है। मुझ पर उनका बहुत प्रभाव है।
विनोद सर ने ‘कागज के फूल’ पढ़ने को दी
‘शिकारा’ की शूटिंग के दौरान विनोद सर को देखता रहता था। उससे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला जिसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता। वो अपने काम में पूरी तरह से डूबे रहते हैं और बहुत ही खुशी से काम करते हैं। मुझे पढ़ने का बहुत शौक है। मैं दूसरों की भी स्क्रिप्ट पढ़ने लगता हूं। विनोद सर ने मुझे ‘कागज के फूल’ की स्क्रिप्ट पढ़ने को दी थी। डेढ़ दिन में ही स्क्रिप्ट पढ़कर उनको बताया तो बहुत खुश हुए।
अक्षय सर ने एक्शन सिखाया
अक्षय सर अपने काम की बहुत इज्जत करते हैं। मैंने उनके साथ फिल्म ‘बेल बॉटम’ में काम किया था। वो वैनिटी वन में बहुत ही कम बैठते हैं। समय से आते जाते थे। सेट पर प्रोड्यूसर को कभी इंतजार नहीं करवाया। मैंने उस फिल्म में विलेन की भूमिका निभाई थी। फिल्म में पहली बार मैं एक्शन सीन कर रहा था। एक एक्शन सीक्वेंस के दौरान मेरा हाथ उन्हें जोर से लग गया। उन्होंने बहुत प्यार से मुझे समझाया कि सीन कैसे करना है? जबकि वह काम एक्शन डायरेक्टर का था।
अक्षय सर न्यूकमर के लिए ब्लेसिंग हैं
एक सीन में मुझे दरवाजे पर जोर से धक्का मारना था। उस सीन में अक्षय सर की जरूरत नहीं थी फिर भी पैर में पैड बांधकर दरवाजे के पीछे खड़े थे। एक सीन में जीप से छलांग लगाना था जिसे उनके डुप्लीकेट पर फिल्माया जा सकता था, लेकिन वह शॉट भी उन्होंने खुद ही किया। उनको देखकर न्यूकमर को बहुत कुछ सीखने को मिलती है। वो न्यूकमर के लिए ब्लेसिंग हैं।
अक्षय की नानी कश्मीर से थीं
जब मैंने उनको बताया कि मैं कश्मीर से हूं तब वो बोले कि उनकी नानी कश्मीर की थीं। अक्षय सर बहुत ही प्यार से लोगों के साथ पेश आते हैं। शूटिंग के दौरान माहौल को इतना सहज बना देते हैं कि पता ही नहीं चलता है कि हम लोग शूटिंग कर रहे हैं। उनके साथ काम करने का बहुत ही मजेदार अनुभव रहा और बहुत कुछ सीखने को मिला।
‘मुखबिर’ ने ओटीटी पर दी पहचान
फिल्म ‘बेल बॉटम’ की शूटिंग जैसे ही खत्म हुई, जी5 के शो मुखबिर: द स्टोरी ऑफ ए स्पाई’ में में काम करने का ऑफर आया। इसमें मैंने एक भारतीय जासूस हरफन बुखारी का किरदार निभाया था। जब उसे पाकिस्तान में जासूसी करने के लिए भेजा जाता है, तब अपना नाम कामरान बख्श रख लेता है। इस सीरीज से मुझे अलग पहचान मिली। इसमें प्रकाश राज सर के साथ काम करने एक अलग ही अनुभव मिला है। वो कई भाषाएं बोल लेते हैं।
हर अच्छे काम का फायदा देर सबेर मिलता ही है
हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘आंखों की गुस्ताखियां में जैन खान दुर्रानी, अभिनव के किरदार में दिखे हैं। वह कहते हैं- हर अच्छे काम का फायदा देर सबेर मिलता ही है। लोग ऐसे लोगों को देखना पसंद करते हैं जिनके बारे में उन्हें पता है कि कुछ अलग करेगा। आज भी लोगों के ‘कुछ भीगे अल्फाज’, ‘शिकारा’ और ‘बेल बॉटम’ के लिए मैसेज आते हैं।
पेशेंस बहुत जरूरी है
चुनौतियां तो बहुत आती हैं, लेकिन पेशेंस बहुत जरूरी है। कई बार ऐसा होता है कि किसी प्रोजेक्ट को बहुत दिल से चाहते हैं, लेकिन वह शुरू नहीं हो पाता है। कोविड के दौरान बहुत चुनौतियां आईं। ऐसा लगता था कि सब कुछ बंद होने वाला है, लेकिन चुनौतियों के साथ उसका निवारण भी आता है। कोविड के दौरान ही ‘बेल बॉटम’ का ऑफर आया था। अभी कुछ फिल्में और वेब सीरीज की शूटिंग पूरी की है। देखते हैं कब रिलीज होती है।