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apoorva arora films talking about her career and personal life | MeToo के बाद मैंने कन्नड़ इंडस्ट्री में काम नहीं किया: अपूर्वा अरोड़ा बोलीं- अलग-अलग इंडस्ट्री में काम करके मुझे एक नया नजरिया मिला

apoorva arora films talking about her career and personal life | MeToo के बाद मैंने कन्नड़ इंडस्ट्री में काम नहीं किया: अपूर्वा अरोड़ा बोलीं- अलग-अलग इंडस्ट्री में काम करके मुझे एक नया नजरिया मिला


57 मिनट पहलेलेखक: हिमांशी पाण्डेय

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अपूर्वा अरोड़ा ने 13 साल की उम्र में अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी। अब तक वह हिंदी, पंजाबी, कन्नड़ और गुजराती फिल्मों में काम कर चुकी हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने अपने शुरुआती दिनों की चुनौतियों के बारे में बताया। साथ ही यह भी साझा किया कि आने वाले समय में वह किन-किन प्रोजेक्ट्स में नजर आएंगी।

आपने चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर करियर की शुरुआत की और अब लीड एक्ट्रेस के तौर पर काम कर रही हैं। यह सफर कैसा रहा?

सच कहूं तो मैंने कभी ये सोचा नहीं था कि चाइल्ड आर्टिस्ट के बाद मैं एक दिन लीड एक्ट्रेस बनूंगी। जब मैंने शुरुआत की थी, तब फिल्मों के बारे में मुझे ज्यादा समझ नहीं थी। बस उस वक्त मैं हर चीज को एंजॉय करती थी। जैसे सुबह जल्दी उठकर सेट पर जाना, मेकअप करवाना, स्क्रिप्ट मिलना और फिर शूट करना। उस समय ये भी दिमाग में चलता था कि क्या मुझे एक्टिंग को करियर के तौर पर आगे जारी रखना है या नहीं।

लेकिन धीरे-धीरे जब समझ आई और अनुभव बढ़ा, तब एहसास हुआ कि यही मेरा पैशन है और मुझे एक्टिंग ही करनी है। अब जब पीछे मुड़कर देखती हूं, तो खुशी होती है कि मैंने सही फैसला लिया। ये सफर बहुत कुछ सिखाने वाला रहा है।

बहुत कम उम्र में आपने करियर की शुरुआत कर दी थी। क्या कभी ऐसा लगा कि काम के चलते बचपन कहीं खो गया?

छोटी उम्र में जब काम शुरू किया तो बस यही लगा कि अच्छा लग रहा है, तो करना चाहिए। उस समय मुझे कुछ टीवी शोज के ऑफर भी मिले, लेकिन वो कभी टेलीकास्ट नहीं हुए। फिर मैंने सोचा कि जब इस लाइन में आ ही गई हूं, तो कुछ न कुछ करते रहना चाहिए।

इसके बाद स्कूल से मुझे होम स्कूलिंग में शिफ्ट कर दिया गया। मैंने खुद के लिए कभी वापस जाने का ऑप्शन नहीं रखा था। इस दौरान मेरे पेरेंट्स ने बहुत ध्यान रखा कि मेरे मन में कभी यह न आए कि अब मैं बड़ी हो गई हूं, पैसे कमा रही हूं, तो कुछ ऐसा करूं जो मेरी उम्र के हिसाब से सही न हो। सच कहूं तो मुझे लगता है कि मैंने अपना बचपन एक्टिंग शुरू करने के बाद ही जीया और आज भी जी रही हूं। तो मैंने अपना बचपना नहीं खोया।

पहले के समय और आज के समय में बच्चों के साथ शूटिंग करने के अनुभव में आपको क्या अंतर महसूस हुआ है?

जब मैं बच्ची थी और चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर काम करती थी, तब मेकर्स बच्चों की जरूरतों और उनके साथ व्यवहार को लेकर उतने सजग नहीं थे। लेकिन अब जब मैं बड़ी हो गई हूं और हाल ही में किसी प्रोजेक्ट में बच्चों के साथ काम करने का मौका आया, तो मैंने महसूस किया कि आज के समय में मेकर्स बच्चों की कास्टिंग और उनके साथ काम करने के तरीके को लेकर कहीं ज्यादा अवेयर हैं।

उदाहरण के तौर पर, एक मीटिंग के दौरान हमें साफ-साफ हिदायत दी गई कि शो में 20 साल की एक लड़की काम कर रही है, तो उसके सामने किस तरह से व्यवहार करना है, किन शब्दों का इस्तेमाल करना है और उसके किरदार को किस संवेदनशीलता से समझाना है। ये चीजें पहले नहीं होती थीं।

आपने कन्नड़, पंजाबी, हिंदी और गुजराती सिनेमा में काम किया है। आपने अपने करियर को किस तरह दिशा दी?

सच कहूं तो मैंने अपने करियर को कोई खास दिशा देने की कोशिश नहीं की। मैं बस काम करती गई और रास्ते में लोग मिलते गए, मौके मिलते गए, और चीजें होती चली गईं। शुरुआत में मेरी सोच ये थी कि किसी भी काम को बिना कोशिश किए मना नहीं करना है। मेरी डिक्शनरी में ना कहना बहुत कम था।

हां, जब मैं थोड़ी बड़ी हुई, तब कुछ प्रोजेक्ट्स को जरूर मना किया। लेकिन वो भी सोच-समझकर। मेरे लिए ये हमेशा जरूरी रहा कि अगर कोई मौका मिल रहा है, तो मैं उसे हाथ से जाने न दूं, क्योंकि मेरे पास ज्यादा विकल्प नहीं थे। कोई मेरे पास आकर खुद से नहीं कहेगा कि इस प्रोजेक्ट में काम करो, हम तुम्हारे लिए पैसा लगाएंगे।

जो सबसे अच्छी बात रही वो ये है कि मुझे अलग-अलग भाषाओं और इंडस्ट्रीज में काम करने का मौका मिला। हर भाषा, हर इंडस्ट्री एक नया अनुभव और नई सीख लेकर आई। अलग-अलग कल्चर को समझने और अपनाने का मौका मिला। यही मेरा असली ग्रोथ रहा है। सीखते हुए आगे बढ़ना।

फिल्म हॉलीडे और OMG में काम करने का अनुभव कैसा रहा? इन फिल्मों के दिग्गज कलाकारों से क्या कुछ सीखने को मिला?

इन दोनों ही फिल्मों में काम करने का अनुभव मेरे लिए एक नींव की तरह था। हॉलीडे में अक्षय कुमार सर के साथ काम करने का मौका मिला, OMG में परेश रावल सर के साथ और एक बार विद्या बालन मैम के साथ भी एक दिन का शूट किया और ये सभी अनुभव मेरे लिए बेहद सीखने वाले रहे।

इन कलाकारों के साथ काम करके मैंने जाना कि सिर्फ टैलेंट ही नहीं, बल्कि प्रोफेशनलिज्म भी उतना ही जरूरी होता है। जैसे समय पर सेट पर पहुंचना, अपनी लाइन्स तैयार रखना और सबसे अहम यह समझना कि डायरेक्टर ही आपके असली बॉस होते हैं।

खासकर विद्या मैम से बहुत कुछ सीखने को मिला। भले ही वो एक छोटा-सा एड शूट था, लेकिन जिस तरह वो अपने किरदार को समझती हैं, सेट पर व्यवहार करती हैं और छोटी-छोटी बातें कहती हैं वो सब कुछ सीखने लायक होता है।

कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में #MeToo मूवमेंट के बाद क्या कुछ बदलाव देखने को मिले हैं?

सच कहूं तो मी टू मूवमेंट के बाद मैंने कन्नड़ इंडस्ट्री में काम नहीं किया है। ये मेरी कोई प्लानिंग नहीं थी, बल्कि मुझे कोई ऐसा प्रोजेक्ट नहीं मिला। हालांकि, जब मैं वहां काम कर रही थी, तब माहौल काफी सुरक्षित और प्रोफेशनल था। मेरा आखिरी प्रोजेक्ट भी एक अच्छे अनुभव के साथ खत्म हुआ। उस दौरान मैंने कई फीमेल आर्टिस्ट्स की कहानियां सुनीं, जहां उन्होंने अपने अनुभव शेयर किए कि कैसे उन्हें हैरेसमेंट का सामना करना पड़ा। मुझे उम्मीद है कि मी टू मूवमेंट के बाद इंडस्ट्री में जरूरी बदलाव हुए होंगे।

आने वाले समय में आप किन-किन प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही हैं?

एक पॉलिटिकल ड्रामा फिल्म आने वाली है। इसके अलावा कई प्रोजेक्ट्स ऐसे हैं, जिनकी शूटिंग पूरी हो चुकी है लेकिन वे अभी रिलीज नहीं हुए हैं। जैसे कि एक शो है अनरियल, जो काफी अच्छा होने वाला है। इसी साल एक और फिल्म खामोश नजर आते हैं रिलीज होगी। इसके अलावा ओ मेरी नाम की एक फिल्म भी आएगी।

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