11 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी
- कॉपी लिंक

एक्टर हिमांशु अशोक मल्होत्रा इन दिनों वेब सीरीज ‘राणा नायडू’ 2 को लेकर खूब चर्चा में हैं। उनके करियर में एक दौर ऐसा भी आया जब एक्टिंग से मोह भंग हो गया और खुद की तलाश में एक अलग ही जर्नी पर निकल गए, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। ‘शेरशाह ‘वीर केसरी’ जैसी फिल्में और ‘राणा नायडू’ जैसी सीरीज ने उनके करियर को नई उड़ान दी। हाल ही में हिमांशु ने दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान करियर और अपने जीवन से जुड़ी बहुत सारी बातें शेयर कीं।
सवाल- एक्टिंग की तरफ आप का रुझान कैसे हुआ?
जवाब- जब मैं तीसरी कक्षा में था, तभी मेरे मन में ख्याल आया कि इस दुनिया में कुछ ऐसा करें, जिससे नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाए। 10वीं क्लास के बाद मुझे लगा कि सिर्फ पढ़ाई करने से कुछ नहीं होगा। मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया, लेकिन वहां भी कुछ नहीं हो रहा था। शिखर धवन और गौतम गंभीर मेरे जूनियर थे। मैंने आशीष नेहरा, दीप दास गुप्ता, आकाश चोपड़ा के साथ भी क्रिकेट खेला है, लेकिन जब क्रिकेट छूटा तो सोचा कि अब क्या करें? स्कूल के समय एक्टिंग कंपटीशन और डांस में भाग लेता था। फिर ख्याल आया कि क्यों ना बॉलीवुड में कोशिश किया जाए। हो सकता है कि फेमस होने का सिलसिला वहां से शुरू हो।
सवाल- अपने पेरेंट्स के बारे में कुछ बताइए?
जवाब- मेरे डैड का रेडीमेड गारमेंट्स का बिजनेस था। अभी वो नहीं रहें उनकी मृत्यु हो गई। बहुत मेहनत से उन्होंने अपना बिजनेस सेट किया था। उससे पहले दिल्ली आजाद मार्केट में फल का स्टॉल लगाते थे। मम्मी पापा की लव मैरिज हुई थी। मम्मी हाउस वाइफ रही हैं।
सवाल- जी सिने खोज लाइफ में कैसे आया?
जवाब- इंडियाज बेस्ट सिनेस्टार्स की खोज में 2004 में भाग लिया। एमबीए फर्स्ट एयर हो चुका था। उससे पहले राहुल दत्ता के साथ मॉडलिंग कर चुका था। उसी दौरान कुछ पंजाबी म्यूजिक वीडियो में भी काम कर चुका था। दिल्ली के करोल बाग में इंडियाज बेस्ट सिनेस्टार्स की खोज का पायलट शूट हो रहा था। वहां मॉडल कोऑर्डिनेटर के माध्यम से कुछ मॉडल और थिएटर आर्टिस्ट को बुलाया गया था। वहां जो थिएटर आर्टिस्ट थे वे डांस नहीं कर पा रहे थे और मॉडल ऐक्टिंग नहीं कर पा रहे थे। मैं दोनों थोड़ा बहुत कर लेता था और अच्छा दिखता था। मेरा उसमें चयन हुआ और फिर विनर बना।
सवाल- इसके बाद आपको राज सिप्पी की फिल्म में काम करने का मौका मिला?
जवाब- जी, राज सिप्पी की फिल्म मिली। वह फिल्म बन चुकी थी, लेकिन रिलीज नहीं हो पाई। बाद में उन्होंने फिल्म का शीर्षक ‘कूल बेबी कूल’ रखा था। उस फिल्म में काम करना जिंदगी का सबसे बेहतरीन अनुभव था। वो बहुत कमाल के डायरेक्टर हैं।
सवाल- जब फिल्म रिलीज नहीं हुई तब तो बहुत दुख हुआ होगा?
जवाब- बहुत दुख होता है। फिल्म के लिए हमने डेढ़ साल तक समय दिया। फिल्म के रिलीज का इंतजार करते हैं, लेकिन फिल्म नहीं रिलीज हो पाती, जबकि फिल्म का म्यूजिक लॉन्च हो चुका था। उसके बाद एक और फिल्म साइन की थी। वह भी नहीं शुरू हो पाई।
मम्मी ने टीवी शो में काम करने की सलाह दी, लेकिन उस समय मन टीवी शो करने में नहीं था। क्योंकि सपने तो फिल्मों के थे। फिर भी मैंने 2007 में जी नेक्स्ट के यूथ बेस्ड शो में काम किया। यहां से टेलीविजन का सिलसिला शुरू हो गया और 10-15 शो में काम किया। टेलीविजन में पूरी तरह से समर्पित हो गया।
सवाल- टेलीविजन की दुनिया में किस तरह के चैलेंजेज आए?
जवाब- यह एक अलग मीडियम है। फिल्म में सीन की तैयारी करने का समय मिलता है। किरदार के बारे में चर्चा होती थी। फिल्म के लिए पैसे देकर थिएटर में देखते हैं। जबकि टेलीविजन में ऐसा नहीं होता है। फिल्म की अपेक्षा वहां एपिसोड शूट करने की जल्दी होती है। हर कोई मंडे टु फ्राइडे में उलझा हुआ है, लेकिन टेलीविजन की सबसे खूबसूरत बात यह है कि मानसिक रूप से मजबूती मिलती है। टेलीविजन में पूरी तरह से समर्पित हो गया। फिल्में बहुत पीछे छूट गई। यहां नाम, पैसा अवॉर्ड सब मिलने लगा।
सवाल- फिर ऐसे कम्फर्ट जोन से बाहर कैसे निकले?
जवाब- नियति बहुत बड़ी चीज होती है। जब फिल्में करना चाह रहा था तब ईश्वर चाह रहे थे कि फिल्में ना रिलीज हो। जब मैं टेलीविजन में पूरी तरह से समर्पित हो गया। ‘नच बलिए 7’ का अमृता के साथ विनर रहा, ‘खतरों के खिलाड़ी 7’ के बाद ‘डॉक्टर रोशनी’ शो जैसे ही खत्म हुआ मुझे टी-सीरीज की फिल्म ‘वजह तुम हो’ 2016 में ऑफर हुई। इस फिल्म के बाद जीवन में एक ऐसा भी मोड़ आया जब एक्टिंग छूट गई। क्योंकि मैं ‘शेयर एण्ड ग्रो’ एक्टिविटीज में बिजी हो गया था। इसके माध्यम से खुद को ढूंढने की कोशिश कर रहा था। मैंने बच्चों के साथ बहुत सारे सेशन किए। वह एक अलग ही दुनिया थी। जो जीवन के सही मायने सिखा गई। खैर, 2021 धर्मा प्रोडक्शन की फिल्म ‘शेरशाह’ रिलीज हुई।
धर्मा प्रोडक्शन की फिल्म ‘शेरशाह’ में हिमांशु मल्होत्रा, कैप्टन राजीव कपूर के किरदार में नजर आए थे।
सवाल- शेरशाह के बाद जर्नी कैसे आगे बढ़ी?
जवाब- यह फिल्म 12 अगस्त 2021 में रिलीज हुई। जून में कई सालों के बाद स्टार प्लस का एक शो ‘चीकू की मम्मी दूर की’ साइन कर चुका था। इस शो के बाद मेरे अंदर कला जागृत हुई। इस शो को पहले दो बार मना कर चुका था। खैर, 2022 में वह शो खत्म हुआ। उसके बाद सोचा कि अब क्या करना है? मैंने शेयर एण्ड ग्रो पूरी तरह से बंद कर दिया। पूरा फोकस सिर्फ एक्टिंग पर रखा। उनके बाद एक्टिंग की बहुत सारी ट्रेनिंग शुरू हुई। जो तीन साल तक चली। बहुत सारे एक्टिंग वर्कशॉप किए।
जिसमें एक्टिंग की नई तकनीक शामिल थी। उसके बाद बहुत सारे नेटफ्लिक्स के शो के टेस्ट हुए, उसी में एक ‘राणा नायडू’ भी था। इसमें परितोष के किरदार से एक अलग पहचान मिली। अब मुझे लगता है कि मैं एक कलाकार बन पाया हूं। ‘राणा नायडू’ का दूसरा सीजन भी आ चुका है।
सवाल-सबसे बढ़िया कॉम्प्लीमेंट क्या मिला, जिसने दिल को छू लिया हो?
जवाब- जब ‘केसरी वीर’ का एडिटोरियल कट सुनील शेट्टी सर ने देखा था। तब उन्होंने फोन करके कहा था कि बहुत ही बढ़िया काम है। फिर आदित्य पंचोली ने काम की तारीफ की। वह क्षण मेरे लिए बहुत खूबसूरत था।
‘केसरी वीर’ में हिमांशु ने रसूल खान का किरदार निभाया था।
सवाल- 20 साल की इस खूबसूरत जर्नी में सबसे बड़ी चुनौती क्या थी?
जवाब- शेयर एण्ड ग्रो की आध्यात्मिक जर्नी मेरे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण रही है। वह ऐसी जर्नी थी जहां एक्टिंग को छोड़कर खुद को ढूंढने की कोशिश कर रहा था। वह जर्नी मेरे लिए नए जन्म जैसी थी।
सवाल- उस दौरान ऐसे कई मौके आए होंगे जब आप पूरी तरह से टूट गए होंगे। उससे उबरने के लिए क्या किया?
जवाब- दिक्कतें परेशानियां बहुत आई। धज्जियां बहुत उड़ी। मुझे उसमें कोई परहेज नहीं था। अगर वैसा पल नहीं आता तो आज यहां नहीं होता। उस दौरान एक्टिंग करने का मन नहीं कर रहा था। बहुत सारे काम मना कर दिया। फाइनेंशियल दिक्कतें बहुत आईं। इमोशनली हर्ट हुआ। 12 साल तक एक्टिंग करने के बाद ऐसा महसूस हो रहा था कि मैं एक्टर नहीं हूं। मुझे लग रहा था कि जन्म किसी और काम के लिए हुआ है। उसको तलाश रहा था, मंजिल का कुछ पता नहीं था, लेकिन जब-जब बिखरा हुआ ब्रह्मांड ने मुझे संभाल लिया।
सवाल- इस समय का क्या महत्वाकांक्षा है?
जवाब- कोई महत्वाकांक्षा नहीं है, सभी खत्म हो गए हैं। बस यही है कि जब तक जीवन है कर्म करते रहना है।
सवाल- आपके लिए सफलता और असफलता क्या है?
जवाब- ये लम्हा ही सबकुछ है। सफलता और असफलता दिमाग की सोच है। यह लोगों का अपना एक नजरिया है कि किस तरह से देखना चाहते हैं। सफलता और असफलता लोगों की मनगढ़ंत कहानियां हैं।