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Gujhiya, gulal and childhood mischiefs | मां के हाथ के पकवान और मोहल्ले की मस्ती: परिवार, पकवान और प्रैंक्स: टीवी कलाकारों ने बताया क्यों खास है उनकी होली

Gujhiya, gulal and childhood mischiefs | मां के हाथ के पकवान और मोहल्ले की मस्ती: परिवार, पकवान और प्रैंक्स: टीवी कलाकारों ने बताया क्यों खास है उनकी होली


16 घंटे पहले

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होली आते ही हर किसी के मन में रंगों की उमंग जाग उठती है। टीवी एक्टर्स भी इस त्योहार से जुड़ी अपनी खास यादें साझा कर रहे हैं।

किसी के लिए यह बचपन की शरारतों का हिस्सा रहा है तो किसी के लिए परिवार संग बिताए गए मीठे पलों की सौगात। योगेश त्रिपाठी, विदिशा श्रीवास्तव, गीतांजलि मिश्रा, शुभांगी अत्रे, रोहिताश्व गौड़ समेत कई सेलेब्स ने अपनी होली की यादें साझा की हैं।

शुभांगी अत्रे: बचपन की होली की यादें अब भी ताजा

बचपन की होली की यादें आज भी दिल में बसी हैं। हमारे मोहल्ले में होली की तैयारियां कई दिन पहले से शुरू हो जाती थीं। गुलाल और पिचकारियों की खरीदारी, होलिका दहन की रस्में, मां के हाथों बने पकवानों की खुशबू – यह सब त्योहार को खास बना देता था। मां से मैंने गुझिया और मालपुआ बनाना सीखा और अब जब भी होली आती है, मैं वही पारंपरिक स्वाद दोहराने की कोशिश करती हूं।

इस बार हम फिल्म सेट पर देहरादून में होली मना रहे हैं लेकिन परिवार से दूर होते हुए भी होली का वही जोश और अपनापन महसूस करने की कोशिश करूंगी।

दीपिका सिंह: होली से एलर्जी, लेकिन बचपन की यादें खास

मुझे होली खेलना ज्यादा पसंद नहीं है लेकिन फिर भी हर साल कोई न कोई रंग लगा ही देता है। मैं ज्यादा घर में रहना पसंद करती हूं क्योंकि मुझे गुलाल और पानी वाले रंगों से एलर्जी हो जाती है। लेकिन होली की एक खास याद मेरे बचपन से जुड़ी हुई है। मेरी मम्मी हर साल होली पर घर में ताजे खोए के मालपुए बनाती थीं। पूरा घर घी की खुशबू से भर जाता था और हम सब बेसब्री से मालपुए खाने का इंतजार करते थे।

अब भी हमारी फैमिली में यही परंपरा चली आ रही है। हर साल होली पर मालपुए जरूर बनते हैं और पूरे परिवार के साथ बैठकर उन्हें खाने का मजा ही अलग होता है।

आयशा सिंह: पापा के साथ स्कूटर पर घूमने की यादें

बचपन की होली की यादें बहुत खूबसूरत हैं। पापा हमें स्कूटर पर बिठाकर हमारे कजिन्स के घर ले जाते थे जहां पूरा परिवार एक साथ होली मनाता था। सब मिलकर गुलाल लगाते थे, म्यूजिक बजता था और खूब मस्ती होती थी। मेरी मम्मा को रंगों से परहेज था इसलिए वह हमेशा होली के दिन किसी बहाने से घर के अंदर छुप जाती थीं ताकि कोई उन्हें रंग न लगा सके।

हम बच्चे पूरे मोहल्ले में दौड़ते-भागते थे और हर किसी को रंग लगा देते थे।

विदिशा श्रीवास्तव: बनारस की होली की रंगीन यादें

होली का नाम सुनते ही मन रंगों से भर जाता है। मेरे लिए यह त्योहार सिर्फ रंगों से खेलना नहीं बल्कि बचपन की उन अनगिनत यादों से जुड़ा है जो बनारस की गलियों में बीती हैं। बनारस की होली अपने जोश, उमंग और भक्ति से सराबोर होती है। मां के बनाए पकवानों की खुशबू, गंगा घाटों की होली और मंदिरों में होने वाली आरती का माहौल – यह सब मिलकर होली को और खास बना देता है।

अब मुंबई में रहकर शूटिंग में व्यस्त रहती हूं लेकिन हर साल बनारस की होली को बहुत मिस करती हूं।

गीतांजलि मिश्रा: मां के साथ पकवान बनाना सबसे खूबसूरत याद

होली मेरे लिए सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं बल्कि हंसी-ठिठोली, प्यार और रिश्तों को मजबूत करने का मौका है। मुझे होली के दिन पकवान बनाना बहुत पसंद है और यह आदत मुझे मां से मिली है। उनके साथ मिलकर गुझिया, मालपुआ, दहीबड़ा बनाना और फिर परिवार के साथ इसका आनंद लेना, यही मेरी होली की सबसे प्यारी यादें हैं।

स्कूल के दिनों में दोस्तों के साथ होली खेलने की शरारतें भी याद आती हैं जब हमने एक दोस्त को रंगे बिना नहीं छोड़ा था। वह किस्सा आज भी याद करके खूब हंसी आती है।

कृष्णा भारद्वाज: गुजिया बनाना सीखा, लेकिन बनी समोसे जैसी

होली और गुजिया का साथ तो जन्मों-जन्मों का है। एक बार मैंने घर पर गुझिया बनाने की कोशिश की लेकिन वे समोसे जैसी बन गईं। मां आज भी इस पर मुझे चिढ़ाती हैं।

सेट पर हम अक्सर अपनी पसंदीदा होली मिठाइयों के बारे में बात करते हैं। मेरे लिए गरमा-गरम पकौड़ों के साथ ठंडाई का मजा सबसे अलग है। प्रैंक्स की बात करूं तो एक बार मैंने अपने दोस्तों की ठंडाई में ऑर्गेनिक रंग मिला दिया था। उन्हें घंटों तक समझ ही नहीं आया कि उनके चेहरे का रंग क्यों नहीं उतर रहा।

योगेश त्रिपाठी: उत्तर प्रदेश की होली का अनोखा रंग

उत्तर प्रदेश में मेरे गांव की होली का मजा ही अलग होता था। चारों तरफ रंग, मस्ती, हंसी और मिठाइयां होती थीं। पहले हम पूजा करते थे फिर गुलाल उड़ाकर नाच-गाना होता था। खासतौर पर बरसाना की लट्ठमार होली और वृंदावन की फूलों वाली होली देखने लायक होती है।

इस बार वहां नहीं जा पा रहा लेकिन घर पर गुजिया बनाकर और अपनी परंपराओं को निभाकर होली की खुशियां बनाए रखूंगा।

रोहिताश्व गौड़: शिमला की ठंडी होली और बचपन की शरारतें

शिमला में होली का मजा ही अलग होता था। ठंड के बावजूद, सुबह-सुबह हम बच्चों की टोली तैयार हो जाती थी – हाथ में पिचकारियां, जेब में गुलाल और मन में शरारतों की लिस्ट।

पूरे मोहल्ले में ढोल-नगाड़ों के साथ होली खेली जाती थी। बचपन की यादों में खो जाऊं तो अब भी चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। मुंबई में रहने के बाद भी मैं हर साल कोशिश करता हूं कि होली को उसी जोश और मस्ती से मनाऊं।

मिश्कत वर्मा: सुबह से रात तक होली का मजा

होली मेरा सबसे पसंदीदा त्योहार है। मुझे रंगों से खेलना बहुत पसंद है और मैं सुबह 11 बजे से लेकर रात के 12 बजे तक होली खेलता हूं। मेरी होली की सबसे खूबसूरत याद कॉलेज के दिनों की है जब हम दोस्तों के साथ कैंपस में होली खेलते थे, डीजे पर डांस करते थे और ठंडाई के साथ पकोड़े खाते थे। वह दिन आज भी याद करके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।

अरव चौधरी: जयपुर की मस्ती और अमिताभ बच्चन की होली

होली रंगों का त्योहार है और बचपन से ही यह मेरे लिए खास दिन रहा है। जयपुर में हम 10-15 दिन पहले से ही होली की तैयारियां शुरू कर देते थे – बाल्टियां भरकर वॉटर बैलून तैयार करना और साइकिल से गुजरने वालों पर पिचकारी चलाना, यह सब बहुत मजेदार होता था। अब भी होली मेरे लिए खुशियों से भरा त्योहार है।

बॉलीवुड में सबसे शानदार होली अमिताभ बच्चन सर के घर पर होती थी – रंग, संगीत, डांस और हंसी-मजाक से भरी हुई। अब मैं घर पर ही सेलिब्रेट करता हूं और अपनी फेवरेट गुजिया का आनंद लेता हूं हालांकि ठंडाई से थोड़ा बचता हूं, सेफ्टी के लिए। होली एनर्जी, अपनापन और रंगों का त्योहार है। हम ऑर्गेनिक गुलाल से होली खेलते हैं ताकि परंपरा के साथ-साथ सेहत का भी ध्यान रखा जाए।

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