Advertise here

Hyderabad man downloaded WhatsApp image Minutes later Rs 2 lakh gone from account Steganography cyber fraud

Hyderabad man downloaded WhatsApp image Minutes later Rs 2 lakh gone from account Steganography cyber fraud


WhatsApp के माध्यम से ऑनलाइन फ्रॉड के नए-नए और अजीब-ओ-गरीब मामले सामने आ रहे हैं। फ्रॉड करने वाले ठग ऐसे-ऐसे तरीके अपना रहे हैं कि सुनकर किसी का भी सिर चकरा जाए! ऐसा ही एक मामला हैदराबाद से सामने आया है जहां पर ऑनलाइन फ्रॉड करने वालों ने एक शख्स के फोन पर फोटो भेजकर उसकी पहचान करने को कहा। जैसे ही शख्स ने उस फोटो को फोन में डाउनलोड किया, उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। उसके अकाउंट से Rs 2 लाख से ज्यादा की रकम चोरी की जा चुकी थी। आइए जानते हैं पूरा मामला। 

WhatsApp पर ऑनलाइन फ्रॉड का एक बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यह मामला हैदराबाद का बताया जा रहा है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदीप जैन (28) को सुबह के वक्त एक अनजान नम्बर से वॉट्सऐप कॉल (WhatsApp Call) आने लगी। कुछ ही मिनट बाद उसी नम्बर से एक मैसेज उसे रिसीव हुआ। मैसेज में एक बुजुर्ग व्यक्ति का फोटो लगा था। प्रदीप जैन से कॉल करने वाले ने पूछा, ‘क्या आप इसे जानते हो?’ 

शुरुआत में शख्स ने इस मैसेज को इग्नोर किया। लेकिन उसके बाद फिर उनके वॉट्सऐप पर कॉल पर कॉल आने लगी। आखिर में हारकर प्रदीप जैन ने वो फोटो अपने फोन में डाउनलोड करके देखा। बस इतना करना था कि हैकर्स को प्रदीप के फोन का एक्सेस मिल गया। कुछ ही मिनटों में उनके अकाउंट से Rs 2 लाख 10 हजार की रकम उड़ गई। यह रकम हैदराबाद के ATM से निकाली गई थी। जब Canara Bank ने प्रदीप को फोन कर इसकी जानकारी दी तो हैकर्स ने उनकी आवाज में बैंक से भी बात कर ली! इसे लीस्ट सिग्निफिकेंट बिट (LSB) स्टेग्नोग्राफी स्कैम कहा जाता है। 

क्या होता है LSB स्टेग्नोग्राफी स्कैम?
लीस्ट सिग्निफिकेंट बिट (LSB) स्टेग्नोग्राफी एक ऐसी तकनीक है जो मीडिया फाइल्स में डेटा छिपाकर रख सकती है। मसलन फोटो, या ऑडियो फाइल में डेटा छिपाकर आपके फोन में भेजा जा सकता है। इसमें डेटा यूनिट्स के लीस्ट सिग्निफिकेंट बिट्स को मॉडिफाई कर दिया जाता है। वहीं, स्टेग्नोग्राफी एक ग्रीक शब्द है जिसका मतलब होता है हिडन राइटिंग (hidden writing) यानी ‘छिपी हुई लिखावट।’ साइबर क्राइम में इस तकनीक का इस्तेमाल नुकसानरहित दिखने वाली मीडिया फाइलों के अंदर मैलवेयर या गुप्त निर्देश डालने के लिए किया जाता है।

आमतौर पर पारंपरिक फिशिंग अटैक या मैलवेयर अटैक में नकली लॉगिन पेज या संदिग्ध अटैचमेंट्स का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इसके उलट, स्टेग्नोग्राफ़ी में साफ-सुथरी दिखने वाली फ़ाइलों के अंदर कोड छिपा दिया जाता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्टेग्नोग्राफ़ी AI-आधारित इमेज पहचान के एडवांस्ड टूल्स को भी धोखा दे सकती है। इसलिए डिजिटल जमाने में यूजर्स को बहुत सावधान रहने की जरूरत है। एक छोटी सी लापरवाही यूजर्स के लिए बड़े नुकसान का कारण बन सकती है। 
 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

संबंधित ख़बरें



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You Missed