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‘I wanted people to cry after watching the film’ | ‘सरजमीन’ से कायोज ईरानी का डायरेक्टोरियल डेब्यू: बोले- ‘मैं चाहता हूं लोग फिल्म देखकर रोएं; पृथ्वीराज सुकुमारन बोले- ये सिर्फ फिल्म नहीं, एक एहसास है

‘I wanted people to cry after watching the film’ | ‘सरजमीन’ से कायोज ईरानी का डायरेक्टोरियल डेब्यू: बोले- ‘मैं चाहता हूं लोग फिल्म देखकर रोएं; पृथ्वीराज सुकुमारन बोले- ये सिर्फ फिल्म नहीं, एक एहसास है


3 घंटे पहलेलेखक: भारती द्विवेदी

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एक्टर बोमन ईरानी के बेटे कायोज ईरानी फिल्म ‘सरजमीन’ से अपना डायरेक्टोरियल डेब्यू कर रहे हैं। इस फिल्म काजोल के साथ पृथ्वीराज सुकुमारन और इब्राहिम अली खान मुख्य भूमिका में नजर आ रहे हैं। देश और फैमिली जैसे मुद्दे पर आधारित ये एक इमोशनल थ्रिलर फिल्म है, जिसे करण जौहर प्रोड्यूस कर रहे हैं। ये फिल्म 25 जुलाई को जियो हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो चुकी है। फिल्म के एक्टर पृथ्वीराज सुकुमारन और डायरेक्टर कायोज ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की है।

पृथ्वी, आप पहले भी सोल्जर का रोल निभा चुके हैं और काफी एक्शन फिल्में की हैं। विजय मेनन के किरदार को चुनने की वजह क्या थी?

पृथ्वी- यही कारण है। मुझे स्क्रिप्ट बहुत पसंद आई थी। बतौर एक्टर, फिल्ममेकर, प्रोड्यूसर हर फिल्म, जिसे आप हां कहते हैं तो उसके पीछे कहानी होती है। वो कहानी आपको खींचती है। इसलिए नहीं कि एक एक्टर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर के तौर पर कहानी आपको आकर्षित करती है बल्कि एक सिनेमा प्रेमी और ऑडियंस के रूप में कहानी आपको पसंद आती है।

मुझे सचमुच लगा कि सरजमीन में देशभक्ति, राष्ट्र, उग्रवाद और कश्मीर की शानदार पृष्ठभूमि पर कही गई एक बेहद दिलचस्प, जटिल और मानवीय कहानी है। मुझे लगा कि इसमें सिनेमा का एक अद्भुत हिस्सा बनने की क्षमता है। मैं वास्तव में एक अभिनेता के रूप में भी मानता हूं कि इसने मुझे कैरेक्टर की गहराई में जाने का बहुत मौका दिया और यह कुछ ऐसा है जो एक एक्टर के रूप में आपको एक्साइटेड करता है।

एक सच्चाई ये भी है कि करण जौहर इस फिल्म को प्रोड्यूस कर रहे हैं। उस वक्त तक मैं कायोज को नहीं जानता था। मैं बाद में इनसे मिला और मैं खुश हूं कि कायोज इस फिल्म को डायरेक्टर कर रहे हैं। 25 जुलाई को आप जो स्क्रीन पर देखेंगे वो पूरी तरह से इनका विजन है। मैं ईमानदारी मानता हूं कि यह किसी फिल्ममेकर की सबसे पावरफुल डेब्यू हो सकता है।

कायोज, फैमिली और देशभक्ति एक बढ़िया कॉन्सेप्ट है। आपने अपने डेब्यू के लिए ये थीम ही क्यों चुना?

देखिए, मुझे करण सर ने पहले स्क्रिप्ट को 50 पेज के आउटलाइन के तौर पर भेजा था। मैंने सुबह के समय स्क्रिप्ट को पढ़ना शुरू किया। जब मैं स्क्रिप्ट के मिड प्वाइंट तक पहुंचा, तब तक मैंने तय कर लिया था कि मैं ये फिल्म कर रहा हूं। मैं इस फिल्म को बैक ड्रॉप या इसके स्केल की वजह से नहीं कर रहा। इस फिल्म में फैमिली का जो डायनेमिक है, वो मुझे पर्सनल लगा। मुझे लगा कि मेरे अंदर कुछ ऐसा है, जिसकी वजह से मैं ये स्टोरी लोगों के सामने लाना चाहता हूं। असल, मुझे जो फिल्म में महसूस हो रहा था वो कोई चीख-पुकार नहीं, बल्कि एक आंसू था। मैं चाहता था कि लोग फिल्म के आखिरी में छाती ठोंकने के बजाय रोएं।

जब बात किसी भी फिल्म की आती है तो मुझे लगता है कि बड़ा कैनवास तो आप देखते ही हैं। लेकिन फिल्म से आप खुद को कनेक्ट कैसे करोगे? आप इसे अपने लिए पर्सनल कैसे बनाते हैं? तो वो फैमिली और इमोशन होता है। ये फिल्म असल में एक इमोशनल थ्रिलर है। इसमें इमोशन पहला शब्द है। ये कॉन्सेप्ट मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं स्क्रिप्ट पढ़ने के दौरान ही इस करने के लिए तैयार था।

कायोज, इस फिल्म के लिए स्टारकास्ट को चुनने के प्रोसेस के बारे में बताइए?

मैं इब्राहिम से शुरू करता हूं। मैं दिल्ली में ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी की’ सेट पर गया था। इब्राहिम उस सेट पर असिस्टेंट डायरेक्टर था। मैं मॉनिटर पर बैठा था, उस वक्त इब्राहिम रणवीर सिंह के लिए स्टैंड इन कर रहा था। मैंने जब उस देखा तो एक ही ख्याल आया कि कैमरा उसे पसंद करता है। उसमें स्क्रीन प्रेजेंस है। मैं उससे नजरें नहीं हटा पा रहा था। लंच के समय मैं करण सर के साथ बैठा था और मैंने इब्राहिम के बारे में बात की। उन्होंने कहा कायोज मैं भी इब्राहिम के लिए ऐसा ही सोचता हूं।

पृथ्वी सर के लिए करण सर ने मुझे फोन किया था और कहा कि तुम उनके नाम पर विचार क्यों नहीं कर रहे? इन्हें लेकर अपने मैंने अपनी रिसर्च की और उसके बाद मैंने इनके नाम पर मुहर लगाने में बिल्कुल देरी नहीं की। इन्हें फिल्म में लेने मेरा वो फैसला था, जिसकी वजह से फिल्म को आकार मिला। क्योंकि सर सच में फिल्म में बहुत कुछ लेकर आए। बतौर डायरेक्टर ये उनकी भी फिल्म है। मैं एक बात कहना चाहूंगा कि मैं सर से फीडबैक लेते आया हूं। मैंने उन्हें जब भी गाना, ट्रेलर, टीजर या यूनिट भेजा और उनका जो फीडबैक आया, वो कभी भी उनके बारे में नहीं था। यह हमेशा किसी और चीज के बारे में रहा है। पृथ्वीराज सर, दुआ की तरह हैं, जिसकी मुझे इस फिल्म में जरूरत थी।

और इस फिल्म के लिए मुझे बस काजोल मैम चाहिए थीं। मैं उनके पास स्टोरी नैरेट करने गया। स्टोरी सुनने के बाद उन्होंने बस स्माइल दिया और मैं थैंक्यू बोलकर वहां से चला गया। जब मैं घर पहुंचा, तब करण सर का मेरे पास कॉल आया और उन्होंने बताया कि काजोल मैम को कहानी इतनी पसंद आई कि उन्होंने हां बोल दिया है।

कायोज, ट्रेलर में इब्राहिम का एक भी डायलॉग नहीं है, इसके पीछे क्या स्ट्रैटेजी थी?

इसके पीछे कोई स्ट्रैटजी नहीं थी। आप फिल्म भी देखोगे तो ऐसा नहीं है कि हमलोगों ने उनका डायलॉग काटा है। या ऐसा नहीं है कि हमलोगों ने कुछ प्रोटेक्ट किया है। इब्राहिम के कैरेक्टर में सस्पेंस डालने और उसके प्रति अधिक अविश्वास बनाने में साइलेंस बेहतर काम करता है।

आप पृथ्वी सर से भी पूछ सकते हैं,इब्राहिम की कास्टिंग से पहले जब उन्होंने कहानी पढ़ी थी, तब इससे भी कम डायलॉग थे। अभी तो हमलोगों ने फिल्म में उनका डायलॉग एड किया है। इस फिल्म का ट्रेलर भी कोई ट्रेडिशनल कट नहीं है। मैंने जब ट्रेलर के कमेंट में पढ़ा, तब एहसास हुआ कि अच्छा उसका डायलॉग नहीं है। मुझे नहीं लगा कि इब्राहिम के लिए डायलॉग की जरूरत थी। मुझे लगता है कि उसने अपनी आंखों से पूरा सस्पेंस क्रिएट किया है।

ऑडियंस का कहना है ट्रेलर में काजोल को देखकर ‘फना’, पृथ्वीराज को देखकर ‘लूसिफर’ और ‘मिशन-कश्मीर’ वाइब आ रही है। आप दोनों क्या कहेंगे?

पृथ्वीराज- ये तीनों ही बेहतरीन फिल्में हैं। कम से कम मैं तो यही मानता हूं क्योंकि दर्शकों ने तीनों फिल्मों को इतना प्यार दिया है। तो हो सकता है। अगर आप उम्मीद कर रहे हैं कि ये इनमें से किसी भी फिल्म जैसी होगी, तो शायद निराश होंगे।

कायोज- कोई भी फिल्म जब रिलीज होती है, तो उसकी तुलना होती है। ये फिल्म ओरिजनल है। और जो भी तुलना हो रही है, मैं इस फिल्म की ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए बहुत आभारी रहूंगा। ये फिल्म इनमें से किसी के भी करीब नहीं है।

पृथ्वी, काजोल के साथ काम करने का अपना एक्सपीरियंस शेयर कीजिए

उनके साथ काम करने का बहुत शानदार अनुभव रहा। मुझे एक्टर और एक व्यक्ति के रूप में सेट पर बिताया गया समय बहुत पसंद आया। मैं बस किसी को बता रहा था कि काजोल सेट पर कैफीन की ओवरडोज की तरह हैं, जो वाकई बहुत अच्छा है। वो शानदार हैं। वो प्रतिभाशाली कलाकार हैं। एक एक्टर के रूप में सबसे खुशी का पल वह होता है, जब आपको एहसास होता है कि आप अपने को एक्टर की वजह से सीन में बेहतर हैं। यह किसी भी एक्टर द्वारा अपने कलीग को दी जाने वाली सबसे बड़ी तारीफ है।

पृथ्वीराज सुकुमारन और काजोल पहली बार साथ नजर आएंगे।

पृथ्वीराज सुकुमारन और काजोल पहली बार साथ नजर आएंगे।

मैं वास्तव में मानता हूं कि सरजमीं में मेरे कई ऐसे पल हैं, जिनमें काजोल ने जो सीन किया है, उसके कारण मैं बेहतर हो पाया हूं। और आपको एहसास होता है कि वो आज भी इतनी ऊंचाई पर क्यों हैं क्योंकि एक एक्टर के तौर पर उनकी प्रक्रिया बहुत सहज है। वो स्वाभाविक रूप से बहुत प्रतिभाशाली हैं। मैं शुक्रगुजार हूं कि मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला। सरजमीं इस वजह से भी मेरे लिए हमेशा खास रहेगी कि मुझे पहली बार काजोल के साथ काम करने का मौका मिला।

सेट की कोई यादगार बात जो आप दोनों शेयर करना चाहेंगे?

पृथ्वी- यह प्रीवल्जेड, जो मुझे अपने करियर में कई बार मिला है। लेकिन मुझे लगता है कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान, एक खास सीन की शूटिंग करते समय, मैं एक ऐसे पल का गवाह बना, जहां डेब्यू एक्टर को अचानक एहसास और यकीन हुआ कि वो वास्तव में कैमरे के सामने है।

कायोज- मुझे बस फिल्म का क्लाइमेक्स शूट करना याद है। मैं आपको नहीं बता सकता कि उसमें क्या हुआ था। वहां पर इब्राहिम, पृथ्वी सर और काजोल मैम थीं। मुझे याद है कि वह दिन खत्म हो गया था और मैं उस चीज से बाहर चला गया था। मुझे ऐसी खुशी महसूस हुई, जो मैंने पहले कभी महसूस नहीं की थी।

मैं दिल से जानता हूं कि ये काम करेगा। अगर ये काम नहीं करता तो इसका मतलब है कि मैं गलत हूं। मैं डायरेक्टर बनने के लायक नहीं हूं। और वह पल मुझे सचमुच सिनेमैटिक लगा। हमने इस फिल्म में बहुत मजा किया है। ग्लिसरीन, रोना-धोना के बाद कट होता था। हम बैठते और हंसते थे। हम सेट पर कॉमेडी करते रहते थे।

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