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If ‘Bombay’ was released today the theatres would have been burnt down | ‘बॉम्बे’ आज रिलीज होती तो थिएटर जला दिए जाते: फिल्म के सिनेमैटोग्राफर ने कहा- तीन दशक में भारत में कम हुआ टॉलरेंस

If ‘Bombay’ was released today the theatres would have been burnt down | ‘बॉम्बे’ आज रिलीज होती तो थिएटर जला दिए जाते: फिल्म के सिनेमैटोग्राफर ने कहा- तीन दशक में भारत में कम हुआ टॉलरेंस


1 घंटे पहले

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मणिरत्नम की ‘बॉम्बे’ में बतौर सिनेमैटोग्राफर काम करने वाले राजीव मेनन ने फिल्म के धार्मिक विषय और कुछ सीन को लेकर बात की है। मेनन ने कहा कि फिल्म को आज सिनेमाघरों में रिलीज करने में संघर्ष करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशक में भारत में टॉलरेंस कम हो गया है।

एक यूट्यूब चैनल पर राजीव ने कहा, ‘बॉम्बे जैसी फिल्म आज नहीं बनाई जा सकती। भारत में स्थिति बहुत अस्थिर है। लोग मजबूत रुख अपना रहे हैं और धर्म एक बड़ा मुद्दा बन गया है। मुझे नहीं लगता कि आप ‘बॉम्बे’ जैसी फिल्म बना सकते हैं। उसे थिएटर में रिलीज कर सकते हैं। थिएटर जल जाएगा। इन 25-30 सालों में भारत कम सहिष्णु हो गया है।’

राजीव मेनन मलयालम डायरेक्टर और सिनेमैटोग्राफर हैं। उन्होंने मणिरत्नम के साथ कई प्रोजेक्ट में काम किया है।

राजीव मेनन मलयालम डायरेक्टर और सिनेमैटोग्राफर हैं। उन्होंने मणिरत्नम के साथ कई प्रोजेक्ट में काम किया है।

मनीषा के बुर्का सीन के पीछे कोई मेटाफर नहीं

इंटरव्यू के दौरान राजीव ने ‘तू ही रे’ गाने में मनीष कोईराला के बुर्का सीन पर भी बात की। जब उनसे पूछा गया कि गाने में मनीष कोईराला का बुर्का उतारना क्या धर्म छोड़ने के तौर पर दिखाया गया था? राजीव ने बताते हैं- ऐसा कुछ नहीं था। उस सीन में कोई प्रॉप्स नहीं थीं, बस एक किले की दीवार थी। ये जगह मुझे पापा के एक दोस्त ने दिखाई थी, जो नौसेना में कमांडर थे। वो पापा के गुजरने के बाद मेरी मदद करना चाह रहे थे। उस सीन में एक लंगर (लोहे का एंकर) होता है। उसी में मनीषा की ड्रेस फंसती है।

असल में हमारी सोच ये थी कि पूरे गाने में मनीषा एक ही ड्रेस में न दिखें, इसलिए ड्रेस बदली गई थी। वो नीली ड्रेस बहुत सुंदर थी, लेकिन अगर पूरे गाने में वही रहती तो बोरिंग लगती। वैसे भी हमारे पास कोई डांस मास्टर नहीं था।

यानी बुर्का उतारने का कोई धार्मिक मतलब नहीं था, ये सब सिर्फ सीन और कॉस्ट्यूम को अच्छा बनाने के लिए किया गया था।

फिल्म के म्यूजिक के बारे में बात करते हुए राजीव बताते हैं कि डायरेक्टर मणिरत्नम ने हिंसा वाले सीन के लिए एआर रहमान के बनाए सबसे मार्मिक धुन को इस्तेमाल करने का सोचा। उन्होंने कहा, ‘सभी वायलेंस सीन के लिए हमारे पास स्कोर था। यह पीड़ा है। यहां न तो ढोल की बात की जा रही है, न ही वायलिन की, बल्कि हिंसा के पीछे छिपी पीड़ा की बात की जा रही है।’

राजीव ने कहा, ‘शहर जल रहा था। कोई और होता तो सीन के लिए थ्रिलर म्यूजिक चुन सकता था, लेकिन उन्होंने जो चुना वह अपने बच्चे को खोज रही मां की भावना थी। यह मूल रूप से एक लोरी थी।’

बता दें कि साल 1995 में मनीष कोईराला और अरविंद स्वामी स्टारर फिल्म ‘बॉम्बे’ रिलीज हुई थी। फिल्म में एक हिंदू लड़के और मुस्लिम लड़की के प्यार को दिखाया गया था।

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