22 मिनट पहलेलेखक: इंद्रेश गुप्ता
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नुसरत भरुचा और सोहा अली खान अपनी अपकमिंग फिल्म छोरी- 2 को लेकर चर्चा में हैं। फिल्म 11 अप्रैल को ओटीटी पर स्ट्रीम होगी। यह फिल्म छोरी की सीक्वल है। फिल्म की मेकिंग को लेकर डायरेक्टर विशाल फुरिया से हुई खास बातचीत…
काजोल और नुसरत के साथ अलग-अलग वुमन सेंट्रिक फिल्म ला रहे हैं, क्या कहेंगे?
फिल्म ‘छोरी’ में नुसरत थीं और हम वहीं कहानी आगे ले जा रहे हैं, इसलिए ‘छोरी 2’ में भी नुसरत ही हैं। हां, हमने इस बार सोहा अली खान को जरूर शामिल किया है। यहां हमने उन्हें दासी के रोल में कास्ट किया है। वहीं, काजोल के साथ फिल्म ‘मां’ आ रही है। उसकी स्टोरी अजय देवगन सर के पास ऑलरेडी थी। अजय सर ने इसके लिए मुझे चुना यह मेरे लिए बड़ी बात है। मैं शुक्रगुजार हूं कि इतने बड़े और बेहतरीन कॉन्सेप्ट के साथ फिल्म मां को डायरेक्ट करने का मौका मुझे मिला।
नुसरत से इस बार कितनी मेहनत करवाई गई है?
नुसरत से 4-5 गुना ज्यादा मेहनत करवाई गई है। छोरी के समय में नुसरत नई-नई थी हॉरर में तो उसको चीजें समझने में थोड़ी-सी दिक्कत हो रही थी। इस बार भी उसे शुरुआत में दिक्कत हुई, फिर उसने अपने आप से ही सब समझ लिया। हालांकि,, वह बेहतरीन एक्ट्रेस हैं, बहुत अच्छा काम पहली में भी किया है। इस बार जब वह सेट पर आईं तो उन्हें इतना तो पता था कि विशाल की दुनिया है तो ये तो ऐसी ही होगी। इसमें कोई कंफर्ट नहीं मिलने वाला है। तो वह पहले ही मेंटली तैयार होकर आई थीं और उन्होंने भी अपने एक्स्ट्रा एफर्ट दिए। उनका काम बेहतरीन और बहुत ही पावरफुल है वो दर्शकों को स्क्रीन पर दिखेगा।
फिल्म में सोहा अली खान को किस तरह कास्ट किया गया?
सोहा का जो किरदार है वह हमारा क्रिएट किया हुआ है। सोहा को लेते समय हम सोच रहे थे कि उन्हें ग्रामीण स्पेस में कैसे लाया जाए। कैसे वह देसी भाषा बोले और वैली दिखें। सोहा खुद भी कन्वेंस नहीं थी लेकिन जब उन्होंने पूरी स्क्रिप्ट पढ़ी, नरेशन लिया, फिर कॉस्टयूम के ट्रायल हुए तो वह खुद भी कन्वेंस हो गई। उन्हें भी लगा कि ये उनके लिए अच्छा किरदार है। कुछ नया है, चैलेंजिंग है। इसमें उनके तीन प्रोस्थेटिक अवतार हैं और तीनों को उन्होंने बहुत अच्छे से निभाया है। उन्होंने बहुत जबरदस्त काम किया है।
फिल्म को बड़ा स्केल कैसे दिया, क्या इस बार मेकिंग के दौरान कुछ चैलेंजिंग रहा?
पिछली बार की तुलना में इस बार कहानी और बड़ी है। हमने इसे काफी बड़े स्केल पर शूट किया है। हम बड़ी दुनिया बनाना चाह रहे थे तो सेट भी एक खास तरीके से बना रहे थे। इस बार बहुत सकरे-सकरे सेट्स हैं। कई टर्नल्स भी हैं। ऐसे में शूट करना काफी टिपिकल रहा। टेक्निकल टीम हो या एक्टर्स हो सबके लिए ही चैलेंजिंग था कि इतनी छोटी-छोटी जगहों पर काम कैसे करें। फाइनली, हम एक बहुत ही कॉम्पैक्ट बजट में एक अच्छी फिल्म बना पाए हैं। हमने कुछ नया ऑफर करने की कोशिश है।
इस बार भी फिल्म में भ्रूण हत्या का एंगल दिख रहा है, क्या और भी कोई विषय है?
हमारी इच्छा यही है कि हॉरर के साथ एंटरटेनमेंट भी दें। लोगों को डराते-डराते एक खास बात कह जाएं। हमारे समाज में जो कुछ गलत चीजें चल रही हैं, बुरी प्रथाएं हैं जो नहीं होनी चाहिए। उस पर संदेश दें। इस बार भी कहानी में बहुत कुछ है। एक नया विषय देखने को मिलेगा लेकिन जैसे पहले भी हमने शुरुआत में नहीं बताया था कि फिल्म में क्या है तो इस बार भी वही कोशिश है। पहले एंटरटेनमेंट होना चाहिए फिर दर्शकों को पता चले कि फिल्म तो एक अहम संदेश दे रही है। अगर मैं पहले ही बता दूंगा तो उसका खास इम्पैक्ट नहीं पड़ेगा।