इस नोटिस में कहा गया है, “यह पाया गया है कि आपकी कंपनी अनधिकृत शोरूम और स्टोर्स के साथ ऑपरेट कर रही है और गैर कानूनी तरीके से व्हीकल्स की बिक्री की जी रही है। यह बहुत गंभीर मामला है। आपसे तीन दिनों के अंदर इसे लेकर एक स्पष्टीकरण उपलब्ध कराने का निवेदन किया जाता है कि इस गतिविधि के लिए आपकी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।” यह नोटिस 31 मार्च को महाराष्ट्र के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के ऑफिस के लेटरहेड पर भेजा गया था। NDTV Profit ने इसकी एक कॉपी देखी है। इस नोटिस पर ज्वाइंट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, Ravi Gaikwad के हस्ताक्षर हैं।
सेंट्रल मोटर व्हीकल्स एक्ट और सेंट्रल मोटर व्हीकल्स के रूल 33 के अनुसार, व्हीकल्स के मैन्युफैक्चरर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स को व्हीकल्स के रजिस्ट्रेशन के लिए बिजनेस सर्टिफिकेट की जरूरत होती है। सेंट्रल मोटर व्हीकल्स रूल्स के रूल 35 में कहा गया है कि व्हीकल्स की बिक्री या ट्रेड से जुड़े प्रत्येक एस्टैबलिशमेंट, शोरूम या डीलरशिप के लिए रजिस्ट्रेशन करने वाली अथॉरिटी से एक अलग बिजनेस सर्टिफिकेट लेना होता है। अगर ट्रेड सर्टिफिकेट नहीं होता तो व्हीकल के मैन्युफैक्चरर और डिस्ट्रीब्यूटर पर मोटर व्हीकल्स एक्ट के सेक्शन 192 के तहत पेनल्टी लगाई जाती है।
ओला इलेक्ट्रिक की मार्च में बिक्री लगभग 23,430 यूनिट्स की रही है। यह वर्ष-दर-वर्ष आधार पर सेल्स में 56 प्रतिशत की कमी है। कंपनी को पिछले कई महीनों से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। फरवरी में कंपनी के व्हीकल्स की बिक्री और रजिस्ट्रेशन के आंकड़ों का मिलान नहीं होने पर सरकार ने ओला इलेक्ट्रिक से जानकारी मांगी है। ओला इलेक्ट्रिक ने बताया था कि फरवरी में उसकी बिक्री लगभग 25,000 व्हीकल्स की थी। हालांकि, एक सरकारी पोर्टल पर कंपनी के व्हीकल्स के लगभग 8,600 रजिस्ट्रेशंस ही दिखे थे। कंपनी ने कहा था कि यह रजिस्ट्रेशन के अस्थायी तौर पर लंबित होने का मामला है।
लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।
Electric Vehicles, Manufacturing, Range, Demand, Market, Speed, Government, Notice, Factory, Ola Electric, Maharashtra, EV, Sales, Prices