Ola Electric in Problem, Stores of Company Raided in Maharashtra And Madhya Pradesh

Ola Electric in Problem, Stores of Company Raided in Maharashtra And Madhya Pradesh


बड़ी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियों में शामिल Ola Electric के लिए मुश्किलें बढ़ी हैं। महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश में भी कंपनी के स्टोर्स पर छापे मारे गए हैं। इन दोनों राज्यों में ट्रांसपोर्ट अथॉरिटीज ने कंपनी के कई स्टोर्स को ट्रेड सर्टिफिकेट के बिना पाया है, जबकि कुछ स्टोर्स एक ट्रेड सर्टिफिकेट को शेयर कर रहे थे। 

मध्य प्रदेश के इंदौर में ओला इलेक्ट्रिक के कम से कम चार और जबलपुर में दो स्टोर्स पर छापे मारे गए हैं। NDTV Profit ने इससे जुड़े इंस्पेक्शन लेटर्स को देखा है। कंपनी के इन स्टोर्स को ‘एक्सपीरिएंस सेंटर’ कहा जाता है। ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के अधिकारियों ने जबलपुर में कम से कम 14 इलेक्ट्रिक स्कूटर्स को जब्त किया है। इन स्टोर्स को स्थिति को लेकर स्पष्टीकरण देने के लिए तीन दिन का नोटिस मिला है। महाराष्ट्र में भी कंपनी के स्टोर्स पर छापे मारे गए हैं। ओला इलेक्ट्रिक के मुंबई में 26 स्टोर्स का इंस्पेक्शन किया गया था। इनमें से कुछ स्टोर्स के पास ट्रेड सर्टिफिकेट नहीं था। 

सेंट्रल मोटर व्हीकल्स एक्ट और सेंट्रल मोटर व्हीकल्स के रूल 33 के अनुसार, व्हीकल्स के मैन्युफैक्चरर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स को व्हीकल्स के रजिस्ट्रेशन के लिए बिजनेस सर्टिफिकेट की जरूरत होती है। सेंट्रल मोटर व्हीकल्स रूल्स के रूल 35 में कहा गया है कि व्हीकल्स की बिक्री या ट्रेड से जुड़े प्रत्येक एस्टैबलिशमेंट, शोरूम या डीलरशिप के लिए रजिस्ट्रेशन करने वाली अथॉरिटी से एक अलग बिजनेस सर्टिफिकेट लेना जरूरी है। अगर ट्रेड सर्टिफिकेट नहीं होता तो व्हीकल के मैन्युफैक्चरर और डिस्ट्रीब्यूटर पर मोटर व्हीकल्स एक्ट के सेक्शन 192 के तहत पेनल्टी लगाई जाती है। 

हाल ही में ओला इलेक्ट्रिक की एक यूनिट के खिलाफ इसके व्हीकल रजिस्ट्रेशन सर्विस प्रोवाइडर ने बकाया रकम नहीं चुकाने पर इनसॉल्वेंसी की याचिका दायर की थी। यह याचिका Ola Electric Technologies के खिलाफ दायर हुई थी। व्हीकल रजिस्ट्रेशन सर्विसेज और हाई-सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट्स उपलब्ध कराने वाली Rosmerta Digital Services और Rosmerta Safety Systems की ओर से Ola Electric Technologies के खिलाफ इनसॉल्वेंसी से जुड़ी दो अलग याचिकाएं दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में बकाया रकम का भुगतान नहीं होने का कारण बताया गया है। Rosmerta Digital Services ने लगभग 22 करोड़ रुपये और Rosmerta Safety Systems ने लगभग 2.5 करोड़ रुपये की बकाया रकम का दावा किया है। 
 

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