3 घंटे पहलेलेखक: हिमांशी पाण्डेय
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राहुल बोल एक्टर होने के साथ अच्छे प्लेयर भी हैं।
राहुल बोस हिंदी सिनेमा के जाने-माने एक्टर हैं। चमेली, प्यार के साइड इफेक्ट्स और चैन कुली की मैन कुली जैसी फिल्मों में उन्होंने काम किया है। राहुल की सबसे खास बात यह है कि वे अपनी फिल्मों के हिट या फ्लॉप होने की परवाह नहीं करते। उन्हें लीक से हटकर और अलग सोच वाली फिल्में करना ज्यादा पसंद है।
राहुल सिर्फ एक एक्टर या निर्देशक ही नहीं, बल्कि एक एथलीट भी हैं। साल 1998 में वे भारत की पहली राष्ट्रीय रग्बी टीम का हिस्सा थे, जिसने एशियन रग्बी फुटबॉल यूनियन चैम्पियनशिप जैसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लिया था। इसके अलावा वे इंडियन रग्बी फुटबॉल यूनियन के अध्यक्ष भी हैं। सैफ अली खान के पिता और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मंसूर अली खान पटौदी ने राहुल को क्रिकेट की ट्रेनिंग भी दी थी।
राहुल बोस के 58वें जन्मदिन पर जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें…
‘बहुत निकम्मा था, मां ने पांच साल तक रोज मारे थे थप्पड़’
राहुल बोस का जन्म कोलकाता में हुआ था। शुरुआती कुछ साल वहीं बिताने के बाद उनका परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया। मुंबई में उन्होंने कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से पढ़ाई की। आगे की पढ़ाई के लिए राहुल अमेरिका जाना चाहते थे, लेकिन जब उन्हें वहां एडमिशन नहीं मिला, तो उन्होंने मुंबई के सिडेनहैम कॉलेज में एडमिशन ले लिया।
कॉलेज के दिनों में राहुल खेलों में भी काफी एक्टिव रहे। वह कॉलेज की रग्बी टीम का हिस्सा बने और वेस्टर्न इंडिया चैंपियनशिप में भाग लिया। इसके अलावा उन्होंने मुक्केबाजी में भी सिल्वर मेडल जीता। ANI से बातचीत में उन्होंने बताया था कि उनके पिता दिखावे और कपड़ों को लेकर अधिक चिंतित रहते थे, जबकि उनकी मां करियर को लेकर काफी गंभीर थीं। वह राहुल को खेल खेलने के लिए मजबूर करती थीं।
राहुल ने खुद स्वीकार किया कि वे बचपन में बेहद निकम्मे बच्चे थे। उनकी मां ने उन्हें लगातार पांच साल तक हर रोज थप्पड़ मारे। हालांकि राहुल मानते हैं कि उनकी मां की सख्त परवरिश ने ही उन्हें वह बनाया जो आज वे हैं।
एक्टर बनने के लिए छोड़ दी थी नौकरी
राहुल बोस ने पहली बार एक्टिंग तब की था, जब वे सिर्फ छह साल के थे। उन्होंने स्कूल के नाटक टॉम, द पाइपर्स सन में मुख्य किरदार निभाया था। हालांकि यह कोई प्रोफेशनल एक्टिंग नहीं थी। 1987 में मां के निधन के बाद राहुल ने रेडिफ्यूजन में कॉपीराइटर के तौर पर काम किया। इसी दौरान वे फिल्मों और स्टेज पर एक्टिंग किया करते थे। फिर साल 1994 में इंग्लिश, अगस्त से उन्होंने एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा।
इंग्लिश भाषा में बनी यह फिल्म देव बेनेगल के निर्देशन में बनी पहली फिल्म थी। इस फिल्म को करने के बाद राहुल का पूरा झुकाव एक्टिंग में ही करियर बनाने पर हो गया। ऐसे में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी थी।
पहली फिल्म के सेट पर नहीं दी थी कुर्सी, सड़क पर बैठा करते थे राहुल
लल्लनटॉप से बातचीत में राहुल ने कहा था, ‘मुझे अपनी पहली फिल्म में बैठने के लिए कुर्सी नहीं दी गई थी। मैं लीड एक्टर था। मैंने कभी स्ट्रगल नहीं किया। मैं सीधे स्टेज से लीड रोल निभाने चला गया और फिल्म में कोई एक्ट्रेस भी नहीं थी, केवल मैं ही था। फिर भी मुझे सेट पर कभी कुर्सी नहीं दी गई। कभी-कभी मैं सड़क के डिवाइडर या पैरापेट पर बैठ जाता था, जैसे कि कोई समस्या ही नहीं है, लेकिन बाकी लोगों के पास हमेशा कुर्सियां होती थीं। निर्माता, उसकी बहन, उसके चाचा सभी को कुर्सी मिलती थी, सिवाय मेरे।
कुछ दिनों तक ऐसा ट्रीटमेंट झेलने के बाद मैं एक रेस्टोरेंट में गया, जहां पर फिल्म के सेट वाली कुर्सी का फैंसी वर्जन था। उस समय उसकी कीमत 10 हजार थी, करीब 30 साल पहले, लेकिन मैंने अपनी खुद की कुर्सी खरीदी। उस एक्सपीरियंस के बाद से मैं हमेशा सेट पर अपनी कुर्सी लेकर आता हूं क्योंकि मैं फिर कभी उस अपमान से नहीं गुजरना चाहता।’
नौकरी छोड़ने के बाद नहीं मिला काम, टीवी का किया रुख
उधर, नौकरी छोड़ने के बाद राहुल को दो महीने तक कोई काम नहीं मिला। ऐसे में उन्होंने टेलीविजन की ओर रुख किया। उन्हें भारत के पहले अंग्रेजी टीवी शो ‘ए माउथ फुल ऑफ स्काई’ में काम मिला और वे बीबीसी वर्ल्ड के फैशन शो स्टाइल के होस्ट भी बने।
1998 में राहुल बोस नसीरुद्दीन शाह के साथ कैजाद गुस्ताद की फिल्म बॉम्बे बॉयज में नजर आए। इसके बाद उन्होंने देव बेनेगल की दूसरी फिल्म स्प्लिट वाइड ओपन में भी काम किया। इस फिल्म में वे एक घूम-घूमकर पानी बेचने वाले की भूमिका में थे। इस किरदार को अच्छी तरह निभाने के लिए उन्होंने मुंबई की झुग्गियों में कुछ समय बिताया और करीब दो हफ्ते तक असली ड्रग डीलर को करीब से देखा और फिर अपने किरदार की तैयारी की।
झंकार बीट्स से किया बॉलीवुड डेब्यू
राहुल बोस को इंग्लिश, अगस्त फिल्म से इंटरनेशनल और हिंदी सिनेमा में पहचान मिल चुकी थी, लेकिन 2003 में उन्होंने झंकार बीट्स के जरिए बॉलीवुड में अपना डेब्यू किया। इस फिल्म के गानों को काफी पसंद किया गया और यह शहरी मल्टीप्लेक्स ऑडियंस के बीच बड़ी हिट साबित हुई।
इसी साल राहुल ने मुंबई मैटिनी में भी काम किया, जो यूके में भी रिलीज हुई और इससे राहुल ने अंतरराष्ट्रीय दर्शकों तक पहुंच बनाई। इसके बाद राहुल चमेली, प्यार के साइड इफेक्ट्स, मान गए मुगल-ए-आजम, चैन कुली की मैन कुली, दिल धड़कने दो, बुलबुल और शौर्य जैसी फिल्मों नजर आए।
अनिल कपूर ने दबा दिया था राहुल का गला
2015 में आई फिल्म दिल धड़कने दो में राहुल बोस भी नजर आए थे। इसमें वे प्रियंका चोपड़ा के पति बने थे। जबकि अनिल कपूर प्रियंका के पिता बने थे। फिल्म में एक सीन दिखाया गया था, जिसमें कमल (अनिल कपूर) अपनी बेटी आयशा (प्रियंका चोपड़ा) के लिए स्टैंड लेता है और उसे उसके पति मानव (राहुल बोस) के चंगुल से छुड़ा लेता है, जिसके डॉमिनेटिंग बिहेवियर के कारण उनकी बेटी बहुत परेशान रहती है और तलाक लेना चाहती है।
अनिल को राहुल बोस के साथ एक सीन शूट करना था, जिसमें उनका राहुल से विवाद होता है और उन्हें राहुल को चाकू दिखाना होता है, लेकिन अनिल ने एक कदम आगे जाते हुए राहुल का गला दबा दिया था। उन्होंने सीन को इतना ज्यादा सीरियसली ले लिया था कि उन्हें ये रियल लगने लगा था।
अनिल उस शॉट में राहुल से कहते हैं-तेरा हाथ उखाड़ के रख दूंगा। इसके बाद वह वायर से राहुल का गला दबा देते हैं। ऐसा करने के लिए उन्हें कहा नहीं गया था। अनिल खुद ही ऐसा करने लग गए थे जिसके बाद उन्हें रोककर ये समझाना पड़ा कि ये केवल शूटिंग है। अनिल ने इस सीन को फिल्म में अपना बेस्ट सीन बताया था।
अनिल कपूर ने एक्स पर इस सीन का जिक्र किया था।
दिल धड़कने दो का एक सीन।
कभी शादी नहीं करना चाहते राहुल, पांच बार रह चुके हैं रिलेशनशिप में
58 साल के हो चुके राहुल ने अब तक शादी नहीं की है। एक इंटरव्यू में उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा था, ‘जब मैं 18 साल का था, तभी मैंने तय कर लिया था कि मैं कभी शादी नहीं करूंगा। उस समय मेरी मां ने कहा था कि आने वाले पांच या दस सालों में देखेंगे। अगर वह आज जिंदा होतीं, तो उन्हें एहसास होता कि मैं सही था।
राहुल ने यह भी बताया कि उनके जीवन में पांच लंबे और सीरियस रिश्ते रहे हैं। उन्होंने अपने जीवन को रोमांस से भरा हुआ बताया और कहा कि वह भविष्य में दोबारा प्यार में पड़ने के लिए तैयार हैं। राहुल के मुताबिक मेरे लिए प्यार का मतलब किसी के साथ डिनर पर जाना नहीं है, बल्कि हंसी, सहजता और मानसिक शांति है।
रह चुके हैं इंटरनेशनल रग्बी प्लेयर
एक्टर और डायरेक्टर होने के साथ-साथ राहुल रग्बी प्लेयर भी हैं। राहुल ने आठ साल तक एशियन यूनियन रग्बी चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया। उन्होंने आखिरी इंटरनेशनल रग्बी मैच पाकिस्तान के खिलाफ और पहला 1998 में सिंगापुर के खिलाफ खेला था। राहुल जब रग्बी खेला करते थे, तब भी वह फिल्मों में काम करते थे। हालांकि उनके लिए फिल्मों से ज्यादा देश के लिए खेलना जरूरी होता था।
23 नवंबर 2018 को इंडिया वेस्ट वेबसाइट से इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था, ‘जब मैं भारत के लिए खेला करता था तब मैं अपने रग्बी कैलेंडर को देखा करता था और टूर्नामेंट्स को देखकर फिल्में लेता था कि खेल की तारीखों से टकराएं नहीं क्योंकि मेरे लिए फिल्मों में एक्टिंग करने से ज्यादा जरूरी भारत के लिए खेलना था।’ हालांकि 2008 में उन्होंने इस खेल से संन्यास ले लिया। संन्यास लेने के बाद उन्होंने रग्बी के प्रचार-प्रसार पर भी जोर दिया।
रग्बी खेलते हुए राहुल बोस।
निर्भया केस में बयान देने पर विवाद हुआ, माफी से इनकार भी किया
निर्भया रेप केस जैसे संवेदनशील मामले पर राहुल ने एक बयान दिया, जो विवाद का कारण बन गया था। उन्होंने कहा था कि अपराध चाहे कितना भी जघन्य क्यों न हो, अगर कोई व्यक्ति सच में अपने किए पर पछताता है और सुधरना चाहता है, तो उसे एक मौका दिया जाना चाहिए। कानून अपना काम करे और सजा दे, लेकिन सजा काटते समय अगर वह सुधरना चाहते हैं या फिर उस चीज की गुंजाइश लगती है और उसे अपने अपराध का एहसास होने लगता है तो उसको मौका जरूर देना चाहिए।
इस बयान के बाद एक्टर की जमकर आलोचना हुई थी। राहुल से इस बयान को वापस लेने और माफी मांगने तक के लिए कहा गया था, लेकिन एक्टर ने माफी नहीं मांगी और अपनी सफाई में कहा था कि वह कानून के खिलाफ नहीं है और ट्रोलर्स को उनके बयान को ठीक से पढ़ना चाहिए।
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