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Rajneesh Duggal spoke on the ‘Udaipur Files’ controversy | ‘उदयपुर फाइल्स’ कंट्रोवर्सी पर बोले रजनीश दुग्गल: लोगों को पहले इस फिल्म को देखना चाहिए, फिर तय करें गलत है या सही

Rajneesh Duggal spoke on the ‘Udaipur Files’ controversy | ‘उदयपुर फाइल्स’ कंट्रोवर्सी पर बोले रजनीश दुग्गल: लोगों को पहले इस फिल्म को देखना चाहिए, फिर तय करें गलत है या सही


28 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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एक्टर रजनीश दुग्गल हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ में नजर आए हैं। राजस्थान के कन्हैयालाल साहू हत्याकांड पर आधारित ये फिल्म रिलीज होने के पहले ही काफी कंट्रोवर्सी में रही है। इस फिल्म रजनीश के साथ एक्टर विजय राज, प्रीति झंगियानी जैसी एक्टर भी नजर आ रहे हैं। फिल्म में रजनीश आईबी ऑफिसर के किरदार में हैं। ये पहली बार होगा, जब रजनीश ने किसी विवादित मुद्दे पर काम किया है। एक्टर ने इस फिल्म और अपने करियर को लेकर दैनिक भास्कर से खास बातचीत की है।

आपकी अब तक की इमेज काफी साफ-सुथरी रही है। ‘उदयपुर फाइल्स’ एक कंट्रोवर्शियल मुद्दे पर बनी फिल्म है। अपनी इमेज को लेकर डर नहीं लगा?

हां, ये बहुत सेंसेटिव मुद्दा है। मैंने अपने इंस्टाग्राम पर इसका ट्रेलर शेयर किया था और मुझे इतने ज्यादा हेट कमेंट आए कि मुझे ट्रेलर वाला पोस्ट हटाना पड़ा। मुझे नफरत नहीं चाहिए थी। मैं समझ नहीं पाया कि ये ट्रेलर लोगों को गलत तरीके से हिट हुई या इस मुद्दे पर लोगों की राय गलत बनी हुई है। मुझे लगता है कि लोगों को पहले सच देखना चाहिए। उस घटना की सीसीटीवी फुटेज मीडिया चैनल्स, पुलिस और कोर्ट में है। लोगों को सच्चाई से भरी इस फिल्म को देखना चाहिए, फिर तय करना चाहिए कि इसमें कुछ गलत है या नहीं।

ये फिल्म 8 अगस्त को देशभर में रिलीज हुई है।

ये फिल्म 8 अगस्त को देशभर में रिलीज हुई है।

आपको नहीं लगता कि बिना फिल्म देखे लोग जिस तरह से सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा दिखा रहे थे, वो बहुत सतही है?

इस फिल्म में मेरा रोल सच्ची घटना पर आधारित लेकिन फिक्शनल है। मेरा किरदार आईबी चीफ का है, जो उस वक्त आईबी ऑफिसर थे। मेरा किरदार उनसे थोड़ा प्रेरित है। कन्हैया लाल के आसपास देश में क्या चल रहा है, ये भी तो थोड़ा दिखाना पड़ेगा। फिल्म लगभग तीन लेयर्स में है। एक लॉयर का पार्ट है, दूसरा आईबी चीफ और फिर कन्हैयालाल। इस फिल्म को लेकर मैं जितना रिसर्च कर सकता था, मैंने किया। मैंने वहां के लोगों से भी बातचीत की थी। सबने मुझे यही बताया कि जो हुआ है, वही सच है। सब कुछ जानने सुनने के बाद मैंने फिल्म के लिए हामी भरी। मैं जानता था कि इस फिल्म के लेकर लोगों का रिएक्शन आएगा लेकिन इतना ज्यादा होगा ये नहीं जानता था।

आप करियर में आगे किस तरह का रोल करना चाहते हैं?

मुझे डार्क ह्यूमर बहुत पसंद है। मैं अपने लिए कॉमेडी जॉनर में भी स्कोप देख पाता हूं। मैं डिफेंस सर्विस को लेकर सच में कुछ करना चाहता हूं। फिर मैं स्पोर्ट्स से जुड़ा किरदार भी करना चाहता हूं। मुझे ड्रामा बहुत पसंद है तो मैं सोशियो-पॉलिटिकल जोन को एक्सप्लोर करना चाहूंगा। मैं जब स्पोर्ट्स और डिफेंस बोल रहा हूं तो इसका मतलब बायोपिक से है। इस जोन मैं किसी की बायोपिक करना चाहूंगा।

कोई खास शख्सियत, जिनकी आप बायोपिक करना चाहते हैं?

मैं खुशवंत सिंह की बायोपिक करना पसंद करूंगा। मुझे केपीएस गिल की कहानी भी दिलचस्प लगती है।

इंडस्ट्री में आपकी शुरुआत काफी शानदार रही है लेकिन सबसे चैलेंजिंग प्वाइंट क्या रहा?

मुझे लगता है प्रोफेशनली तो चैलेंजिंग प्वाइंट आते रहते हैं। मेरे लिए पर्सनली दो प्वाइंट काफी चैलेंजिंग रहे हैं। पहला जब मैंने अपने पिता को खोया। दूसरा जब वाइफ पल्लवी ने अपनी मां को कैंसर की वजह से खोया। उस वक्त हमारी बेटी टिया महज डेढ़ साल की थी। मैं और पल्लवी उस वक्त बहुत कुछ से गुजर रहे थे। मैं पल्लवी को दर्द में नहीं देख सकता था। इस चीज से निकलने के हम दोनों श्यामक डावर के पास पास्ट लाइफ थेरेपी के लिए भी गए थे। बहुत कम लोगों को पता है कि श्यामक सर कोरियोग्राफी के अलावा सोलो स्टडी भी करते हैं। हम किसी के जरिए उन तक पहुंचे थे। वहां हमें उस ट्रॉमा से निकलने में मदद मिली।

रजनीश ने विक्रम भट्ट की हॉरर फिल्म 1920 से बॉलीवुड में डेब्यू किया था।

रजनीश ने विक्रम भट्ट की हॉरर फिल्म 1920 से बॉलीवुड में डेब्यू किया था।

आपको अपनी जर्नी को डिस्क्राइब करना हो तो क्या कहेंगे?

हम लोग बहुत सारे मोटिवेशनल कोट पढ़ते है लेकिन मेरे साथ एक हमेशा रह जाता है। वो फिल्म ‘रॉकी’ का कोट कीप मूविंग फॉरवर्ड है। ये बहुत छोटा है लेकिन इसके मायने बहुत बड़े हैं। इसका मतलब यही है कि कुछ भी हो जाए रूकना नहीं है। पीछे कहां जाओगे। पास्ट में जो हो गया, उससे आप सिर्फ सीखकर आगे बढ़ सकते हो। आप अपनी किताब खुद लिख रहे हो। मैं सालों से एक फिल्म प्रोड्यूस करने का सोच रहा था।

हाल ही मैं मैंने एक शॉर्ट फिल्म फ्रेजाइल प्रोड्यूस की है। ये फिल्म फ्रेजाइल एग सिंड्रोम पर आधारित है। ये एक हेरिडिटरी कंडीशन होती है, जिसका कोई उपाय नहीं है। सिर्फ तीन फीसदी भारतीयों को इसके बारे में पता है। हमने इसे जागरूकता के लिहाज से बनाया है ताकि देश भर में लोग इसके बारे में जाने। जैसे ऑटिज्म होता है, ये भी उसी स्पेक्ट्रम में आता है। हम हमेशा चाहते थे कि जो भी पहली फिल्म प्रोड्यूस करेंगे, वो सोशल होना चाहिए। सोसाइटी को कुछ देने वाली होनी चाहिए। जबकि हमें पता है कि इसका कोई कमर्शियल फायदा नहीं होना है। लेकिन अगर इससे कुछ लोगों की जान बच जाए या लोग अवेयर हो जाए तो मेरे लिए वो काफी है।

इस वक्त का आपका एम्बिशन और रिग्रेट क्या है?

इस वक्त एम्बिशन इतना है कि अब मैं जो किरदार निभाऊं वो असरदार हो। रिग्रेट कुछ चुनिंदा लोगों के साथ काम करने को लेकर है। आइडियली ये होना नहीं चाहिए लेकिन मैंने किया ही क्यों? मैं बहुत खराब नहीं बोलूंगा लेकिन मेरी मेंटालिटी वैसे काम करने की नहीं थी। फिर भी मैं काम करके आ गया।

आपके फैंस को लगता है कि आप में जितना पोटेंशियल है, उस हिसाब से आपको रोल नहीं मिले। इस पर आप कुछ कहना चाहते हैं?

पहले तो मैं उन सारे फैंस का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं कि वो मेरे बारे मैं ऐसा सोचता हैं। उनकी इसी सोच से मुझे ताकत मिलती है और मेरे अंदर और बेहतर करने की आग को बढ़ाता है। मैं भी खुद को ऐसे ही देखता हूं। शायद इसलिए मैं भी अपने काम से संतुष्ट नहीं हूं क्योंकि मुझे पता है कि मैं और बहुत कुछ कर सकता हूं। मुझे वो बहुत कुछ और अभी करना है। अभी कुछ चीजें-चीजें आ रही हैं, मैं उम्मीद करता हूं कि मेरा ग्राफ ऊपर ही जाएगा।

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