अपनी फिल्म ‘सो लॉन्ग वैली’ को प्रमोट करने आश्रम फेम त्रिधा चौधरी अपने को स्टार विक्रम कोचर और लेखक-निर्देशक मान सिंह के साथ जयपुर में आईं।
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उन्होंने भास्कर से बातचीत में कहा- आश्रम के बाद जब भी बाहर निकलती हूं तो लोग जपनाम कहकर अभिवादन करते हैं। कोई आकर बोलता है कि एक सेल्फी मिलेगी। एक एक्टर के लिए यह एक बड़ा सम्मान है।
काम करने का एक्सपीरियंस भी बढ़ रहा है। फिल्म में विक्रम कोचर जैसे एक्टर को काम करते हुए देखा, उनसे भी काफी सीखने को मिला है। इंडस्ट्री में बड़े मौके मिलने शुरू हुए हैं और लोगों में विश्वास जगा है कि इसको कुछ अलग करने को देते हैं।
विक्रम कोचर ने कहा- डंकी और अच्छी चलती तो ठीक लगता, लेकिन अब लोग समझने लगे हैं अच्छे रोल मिलने लगे हैं। अपने कन्धों पर खींचकर ले जाने वाला एक्टर समझने लगे हैं।
पुलिस के किरदार में त्रिधा
त्रिधा ने अपने किरदार के बारे में बात करते हुए बताया कि वे इस फिल्म में कॉप (पुलिस) का किरदार निभा रहीं हैं।
त्रिधा ने कहा- इंसान हमेशा इंसान ही होता है। वर्दी की जरूर रिस्पांसबिलिटी बढ़ जाती है। डायरेक्टर सर ने सोचा होगा कि इस किरदार और वर्दी के साथ में कुछ अलग कर पाउंगी तो उन्होंने मुझे यह करने का मौका दिया। मुश्किल की बात करें तो मुझे लगा था कि भाषा को लेकर कुछ करना चाहिए, लेकिन हमने उसी साधारण अंदाज में ही रखा। मनाली पुलिस स्टेशन की सिचुएशन के हिसाब से नॉर्मल हिन्दी ही यूज की गई।
कहा- एक्टिंग में ठहराव जरूरी
एक्टिंग में एक ठहराव बहुत जरूरी है, हमेशा डायलॉग बोलना जरूरी नहीं होता है। कुछ कुछ सीन में प्रेजेंस महत्वपूर्ण हो जाती है। एक सीन में आप खड़े हो और सोच रहे हो, वह बेहद खास हो जाता है।
चैलेंजिंग था किरदार
विक्रम कोचर बताते हैं- किरदारों को अलग करना स्क्रिप्ट पर निर्भर करता है। किरदार लिखी हुई कहानी से निकलता है। मान सिंह ने यह कहानी लिखी है, एक अलग तरह का किरदार बाहर निकला है। इससे पहले मैंने कभी टैक्सी ड्राइवर का किरदार नहीं निभाया। वह एक अलग प्रिमाइस से वह आ रहा है, तो उस वजह से कुछ अलग करने को मिला। मनाली और शिमला की तरफ जब जाएंगे तो आप देखेंगे कि वहां पर हरियाणा और यूपी के ड्राइवर काफी चलते हैं। उन्हें वहां पर रीजनल कॉनफ्लिक्ट्स हमेशा फेस करने को मिलता है। वे घर को छोड़कर पैसे कमाने के लिए आ रहे है। वहां भाषा, कल्चर और रीजन का डिफरेंस मिलता है। ऐसे में यह किरदार काफी अलग तरह का है। मेरे लिए भी इस तरह का चैलेंज अन एक्सप्लोर वाला था।
डिजाइन एंड डायरेक्शन का कोर्स किया था
विक्रम कोचर बताते हैं- मैंने एनएसडी में डिजाइन एंड डायरेक्शन का कोर्स लिया था। पहला साल काफी क्यूमिलेटिव होता है। थर्ड सेमेस्टर से हम चयन करते हैं कि हम किस दिशा में जाएंगे। दो ही कोर्स थे उस वक्त, एक डिजाइन एंड डायरेक्शन और दूसरा एक्टिंग। मैंने सैकंड ईयर में डिजाइन एंड डायरेक्शन का कोर्स डाला था, लेकिन मैं कन्फ्यूज था। मैंने बहुत सारे प्रोफेसर और सीनियर्स से बात की। प्रोफसर्स का कहना था कि डायरेक्शन वाले कोर्स में समय बहुत मिलेगा। एक्टिंग में आप पर बहुत काम करने काे मिलेगा, सीखने के लिए बहुत कुछ होगा। मेरे पास समय तो बहुत था, तो मैंने एक्टिंग की तरफ रुख कर लिया।
डंकी और सक्सेसफुल होती तो अच्छा रहता
विक्रम कोचर बताते हैं- डंकी के बाद बहुत सारा रिक्ग्नेशन (पहचान) मिला है। डंकी ओर बड़ी सक्सेसफुल होती तो अच्छा लगता। उससे शायद रूकने का समय नहीं मिलता, सांस लेने का समय नहीं मिलता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बावजूद यह हुआ है कि खूब मान मिला है और लोगों को यह कॉन्फिडेंस आया है कि यह बड़ी फिल्म को अपने कंधों पर खींच के लेकर जाने वाला एक्टर है, जिम्मेदार एक्टर है।
पहाड़ों में होते हैं गहरे राज
मान सिंह बताते हैं- पहाड़ जो होते हैं, उनके लिए कहा जाता है कि जितने शांत और अट्रेक्टिव होते हैं, उनमें काफी गहरे राज भी हाेते हैं। वहां लोगों को लगता है कि यहां एक्सप्लोर करने का बहुत है। इस फिल्म में भी वह चीज नजर आएगी। फिल्म स्टार्ट होगी तो वहां की खूबसूरती दिखेगी, इसके बाद आगे-आगे कहानी के अलग रोमांच शुरू होंगे।
मान सिंह बताते हैं- यह खास इसलिए भी है, क्योंकि यह आम लोगों की कहानी है। यह आम लोगों के बीच से निकली कहानी पर बनी फिल्म है।