‘Vicky Donor’ is back on the big screen after 13 years | 13 साल बाद बड़े पर्दे पर लौटी ‘विक्की डोनर’: डायरेक्टर शूजित सरकार बोले- स्पर्म डोनेशन पर बनी मेरी फिल्म ने बदली लोगों की सोच

‘Vicky Donor’ is back on the big screen after 13 years | 13 साल बाद बड़े पर्दे पर लौटी ‘विक्की डोनर’: डायरेक्टर शूजित सरकार बोले- स्पर्म डोनेशन पर बनी मेरी फिल्म ने बदली लोगों की सोच


7 घंटे पहलेलेखक: आशीष तिवारी

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डायरेक्टर शूजित सरकार अपनी एक्सपेरिमेंटल फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। साल 2005 में वार ड्रामा फिल्म ‘यहां‘ से अपना डायरेक्टोरियल डेब्यू करने वाले शूजित ने बॉलीवुड को एक से बढ़कर एक फिल्में में दी हैं। इनमें ‘विक्की डोनर’, ‘पीकू’, ‘पिंक’, ‘अक्टूबर’, ‘सरदार उधम सिंह’ जैसी फिल्में शामिल हैं।

आयुष्मान खुराना और यामी गौतम स्टारर फिल्म ‘विक्की डोनर’ 18 अप्रैल को री रिलीज हो गई है। 13 साल बाद ऑडियंस फिल्म को दोबारा थियेटर में देख पाएंगे। फिल्म के डायरेक्टर शूजित सरकार ने इंस्टाग्राम पर खुद इसकी जानकारी दी थी। इस खास मौके पर शूजित ने दैनिक भास्कर से फिल्म को लेकर अपनी यादें शेयर की है।

सवाल- आपकी फिल्म ‘विक्की डोनर’ 18 अप्रैल को री रिलीज हो गई है। इस फिल्म से क्या यादें जुड़ी हैं?

मैंने ‘विक्की डोनर’ पर एक ऐसे समय में काम करना शुरू किया, जब मेरी दो फिल्मों का बुरा हाल था। मेरी एक फिल्म कभी रिलीज ही नहीं हुई और दूसरी बुरी तरह से फ्लॉप हो गई। वो भी मुंबई में आई बाढ़ की वजह से। आठ साल बाद मेरी कोई फिल्म रिलीज हो रही थी, वो भी स्पर्म डोनेशन जैसे सब्जेक्ट के ऊपर। मैं तो काफी घबराया हुआ था। ऐसा लग रहा था कहीं मेरी तीसरी फिल्म भी ऑडियंस रिजेक्ट ना कर दें।

हमारे समाज में स्पर्म डोनेशन, इनफर्टिलिटी असल मुद्दा है, मुझे ये भी डर था कि दर्शक इसे कॉमेडी फिल्म की तरह ना लें। जब फिल्म रिलीज हुई तो मेरा डर गलत साबित हुआ। मुझे लोगों के कॉल्स आने लगे। कई हॉस्पिटल और डॉक्टर ने मुझे बताया कि फिल्म से लोगों में अवेयरनेस आया है।

सवाल- इस फिल्म को बनाने में आपको क्या चैलेंज फेस करना पड़ा था?

देखिए, मैंने इस फिल्म को ज्यादा लोगों के पास पिच नहीं किया था। दो बड़े एक्टर के पास फिल्म लेकर गया था। उन्होंने मेरी फिल्म को खराब नहीं बोला। स्क्रिप्ट पढ़कर उन्हें मजा आया, वो हंसे भी। लेकिन सब्जेक्ट उन्हें रिस्की लगा। उन्होंने फिल्म को हां करने की हिम्मत नहीं दिखाई। वो अपनी इमेज को लेकर डर रहे थे। हालांकि, उनके रिएक्शन से मेरे अंदर और कॉन्फिडेंस आया कि मैं सही कर रहा हूं।

सवाल- फिल्म के लिए आयुष्मान खुराना का चयन कैसे हुआ था?

जब बड़े एक्टर्स ने फिल्म के लिए मना कर दिया, तब कास्टिंग डायरेक्टर जोगी मलंग ने मुझे आयुष्मान के बारे में बताया था। उन्होंने मुझसे कहा कि थियेटर बैकग्राउंड से एक नया लड़का है। उसने एमटीवी रोडीज किया है और आरजे भी है। थियेटर की वजह से मैं आयुष्मान से मिलने के लिए तैयार हो गया।

जब आयुष्मान मेरे ऑफिस आया, तब मुझे याद आया कि मैंने इसे टीवी में देखा है। पहली मुलाकात में उससे बात करके मैं कनेक्शन फील करने लगा था। मैंने उससे कहा था कि मैं एक ऐसे सब्जेक्ट पर फिल्म बना रहा हूं, जिसे सुनकर शायद तुम मना कर दो। मैंने उसे आइडिया सुनाया और स्क्रिप्ट पढ़ने के लिए दी। अगले दिन वो आया और उसने कहा कि वो ये फिल्म करेगा। मैंने उससे पूछा भी कि तुम फिल्म बीच में छोड़ तो नहीं दोगे? आयुष्मान ने रिप्लाई दिया नहीं दादा, मुझे बहुत पसंद आई।

सवाल- फिल्म का ‘पानी दा रंग’ गाना आज भी लोगों के जेहन में है। वो गाना कैसे बना?

रोल के हामी भरने के बाद आयुष्मान ने मुझे ‘पानी द रंग’ गाना सुनाया। मुझे बहुत पसंद आया। उसने बताया कि ये गाना उसने और उसके दोस्त ने कंपोज किया है। मैंने उससे कहा कि फिल्म एक गिटार के साथ तुम्हारा सीक्वेंस भी है तो इस गाने को यूज करते हैं। फिर उसने कहा दादा मैंने तो सिर्फ चार लाइन ही बनाई है और कौन गाएगा इसे? मैंने उससे कहा कि तुम्हारा गाना है, तुम ही गाओ। आगे की लाइन भी बनाओ। इस तरह फिल्म में ये गाना शामिल हुआ।

सवाल- फिल्म में अन्नू कपूर का रोल बहुत दिलचस्प है। क्या आपने असल में ऐसे किसी डॉक्टर को देखा था?

हां, मुंबई में ही एक पारसी डॉक्टर हैं, जिनसे अन्नू कपूर के रोल के लिए इंस्पिरेशन मिली। उनके बारे में क्या ही बताऊं। मैं और आप जो शब्द बोलने का सोच भी नहीं सकते वो ऐसे ही बातचीत में बोल देते हैं। अन्नू कपूर का मैं बहुत बड़ा फैन रहा हूं। ‘एक रुका हुआ फैसला’ में उन्होंने क्या कमाल की परफॉर्मेंस दी है।

सवाल- अन्नू कपूर वाले रोल के लिए आप ओमपुरी के पास भी गए थे और उन्होंने मना कर दिया था।

जी, मैं डॉक्टर बलवंत चड्ढा का रोल पहले ओमपुरी जी पास लेकर गया था। उनका रिएक्शन था कि क्या बॉलीवुड ऐसी फिल्मों के लिए तैयार है? मैंने उन्हें समझाया कि सर ये डबल मीनिंग वाली फिल्म नहीं है। इस सब्जेक्ट को बेहद सादगी और गरिमा से लिखा गया है। फिल्म का ह्यूमर भी साइंस पैक्ड है। सर को ब्रीफिंग देते समय मैंने बताया कि डॉक्टर बलवंत चड्ढा ऐसे ही कॉमेडी नहीं कर रहा है। वो एक प्रोफेशनल डॉक्टर है, जो साइंस को ध्यान में रखकर बातें करेगा।

सवाल- ‘विक्की डोनर’ समाज में बदलाव लाने वाली फिल्म है। क्या कभी कोई ऐसा मिला, जिसने अपनी इमोशनल स्टोरी आपसे शेयर की हो?

एक नहीं कई सारे हैं। फिल्म 2012 में रिलीज हुई थी, मेरे पास आज भी चिट्ठी और ईमेल आते हैं। जिस समय में ये फिल्म बनी, उस वक्त ये सब्जेक्ट टैबू था। जिन कपल के बच्चे नहीं थे, वो फैमिली में फर्टिलिटी या स्पर्म डोनेशन पर बात करने से घबराते थे। अब वो खुलकर बात करते हैं। ये सबसे बड़ा बदलाव आया है। मैं एक लॉयर से मिला, जो स्पर्म डोनेशन में लीगल चीजों को देखते हैं। उन्होंने मुझे बताया कि इस फिल्म के बाद उन्हें समय नहीं मिल पाता। उनके पास इतने केस आते हैं।

सवाल- फिल्म में सास-बहू का एक सीन है, जिसमें दोनों साथ में ड्रिंक करती हैं। वो आपके घर की कहानी थी?

हां, मैंने अपनी मां को ड्रिंक ऑफर किया था। उस वक्त मेरे पापा बीमार थे। मेरी मां ने कहा कि वो पापा के सामने नहीं पी सकती। फिर मैंने उन्होंने स्टील के ग्लास में ड्रिंक दिया था। ये बात मैंने फिल्म की राइटर जूही चतुर्वेदी को बताई और कहा कि बीजी और डॉली जी के किरदार के साथ कुछ ऐसा करते हैं। उन दोनों को जब पता चला तो उन्होंने कहा कि शूजित हमें ये सीन बनाने दो। असल जिंदगी में डॉली और बीजी दोनों ही ड्रिंक नहीं करती हैं लेकिन उन्होंने क्या कमाल परफॉर्मेंस दी।

सवाल- ‘विक्की डोनर’ ने आयुष्मान और यामी के करियर को दिशा दी। उन दोनों की कही कोई बात , जो आप शेयर करना चाहेंगे?

हां, आज भी जब हम बात करते हैं तो विक्की डोनर का जिक्र जरूरी आता है। आयुष्मान और यामी दोनों ही कहते हैं कि इस फिल्म से उन्हें पहचान मिली। मुझे बहुत गर्व महसूस होता है। इनफैक्ट अन्नू कपूर जी मुझे आज भी कहते हैं कि शूजित तुमने जो वो फिल्म बनाई, अभी के समय भी किसी की हिम्मत नहीं होगी बनाने की। चार दिन पहले ही उन्होंने ये बात फिर से बोली और मुझे इमोशनल कर दिया। मैं बस शुक्रिया कहता हूं।

सवाल- इस खास मौके पर फैंस से कुछ कहना चाहेंगे?

ये जो री रिलीज का चलन शुरू हुआ है, ये अपने आप में इंडस्ट्री में कमाल हो रहा है। हमें इसे सेलिब्रेट करना चाहिए। मैं फैंस से कहूंगा कि सिर्फ ‘विक्की डोनर’ ही नहीं, जो भी फिल्में री रिलीज हो रहीं हैं, उन्हें सेलिब्रेट करें। जिन लोगों ने उस वक्त ये फिल्म हॉल में नहीं देखी, उनसे कहूंगा कि हॉल में जाकर जरूरी देखिए। हॉल में देखने का मजा कुछ और ही है।

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