Zepto Wins Trademark Battle in Delhi HC Gets Exclusive Rights in Favour of Kiranakart All Details

Zepto Wins Trademark Battle in Delhi HC Gets Exclusive Rights in Favour of Kiranakart All Details


ग्रॉसरी डिलीवरी प्लेटफॉर्म Zepto की पैरेंट कंपनी Kiranakart ने करीब एक साल से चले आ रहे ट्रेडमार्क विवाद में दिल्ली हाई कोर्ट में जीत दर्ज की है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस अमित बंसल ने चार साल पुरानी इस स्टार्टअप के पक्ष में फैसला सुनाते हुए मोहम्मद अरशद द्वारा 14 जुलाई 2014 को रजिस्टर किए गए “Zepto” ट्रेडमार्क को रद्द करने का आदेश दिया। कोर्ट ने Zepto की रेक्टिफिकेशन याचिका (rectification plea) को स्वीकार करते हुए ट्रेडमार्क रजिस्टर से अरशद के स्वामित्व को हटाने का निर्देश दिया।

Inc42 की रिपोर्ट में बताया गया है कि फैसले में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि Zepto जुलाई 2021 से भारत में लगातार और बड़े पैमाने पर इस ट्रेडमार्क का उपयोग कर रहा है और अपने ब्रांड की मजबूत पहचान बना चुका है। दूसरी ओर, अरशद ने रजिस्ट्रेशन के आठ साल बाद भी इसे व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल नहीं किया। जस्टिस अमित बंसल ने अपने बयान में कहा, “उत्तरदाता संख्या 1 (अरशद) ने रजिस्टर्ड सर्विस के लिए इस ट्रेडमार्क का यूज करने की कोई वास्तविक मंशा नहीं दिखाई। ट्रेडमार्क रजिस्टर में आठ साल से अधिक समय तक दर्ज रहने के बावजूद, उन्होंने क्लास 35 की सेवाओं के लिए इसका उपयोग नहीं किया।”

मोहम्मद अरशद ने Zepto को ट्रेडमार्क क्लास 9 और 35 के तहत रजिस्टर किया था, जिसमें स्मार्टफोन डिस्ट्रीब्यूशन, मोबाइल एसेसरीज, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और टेलीफोन इंस्ट्रूमेंट जैसी सेवाएं शामिल थीं। अरशद ने दावा किया था कि वह इसे 1 अप्रैल 2011 से इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, Zepto ने आरोप लगाया कि अरशद ने सिर्फ ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन में देरी करवाने और कंपनी को परेशान करने के लिए इसका विरोध किया। स्टार्टअप ने कथित तौर पर यह भी दावा किया कि अरशद का जुलाई 2024 में किया गया सेटलमेंट ऑफर असल में एक जबरन वसूली का प्रयास था, जिसे उन्होंने एक सौहार्दपूर्ण समाधान के रूप में पेश किया था।

रिपोर्ट आगे बताती है कि अरशद ने न तो Zepto की याचिका का जवाब दिया, न ही कोर्ट में पेश हुए, जिससे Kiranakart की याचिका बिना किसी विरोध के स्वीकार कर ली गई। कोर्ट ने भारतीय ट्रेडमार्क अधिनियम की धारा 47(1)(b) का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि यदि कोई ट्रेडमार्क लगातार पांच वर्षों तक उपयोग में नहीं आता और उसके खिलाफ याचिका दाखिल करने से तीन महीने पहले तक निष्क्रिय रहता है, तो उसे हटाया जा सकता है। इस फैसले के बाद Zepto को भारत में अपने ब्रांड नेम पर पूरी तरह से कंट्रोल मिल गया है।

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