MP GK IN HINDI PART 1-MP rupkar kalye
मध्य प्रदेश सामान्य ज्ञान एक दृष्टि में Mp Gk In Hindi
मिट्टी शिल्प miti shilp
मनुष्य
ने सबसे पहले मिट्टी के बरतन बनाए। मिट्टी से ही खिलौने और मूर्तिया बनाने
की प्राचीन पंरपरा है। मिट्टी का काय्र करने वाले कुम्हार होते हे।
मध्यप्रदेश के प्रत्येक अंचल में कुम्हार मिट्टी-शिल्प का काम करते हे।
धार-झाबुआ, मंडला-बैतूल, रीवा-शहडोल आदि मिट्टी-शिल्प में अपनी-अपनी
विशेषताओं के कारण प्रसिद्ध है।
ने सबसे पहले मिट्टी के बरतन बनाए। मिट्टी से ही खिलौने और मूर्तिया बनाने
की प्राचीन पंरपरा है। मिट्टी का काय्र करने वाले कुम्हार होते हे।
मध्यप्रदेश के प्रत्येक अंचल में कुम्हार मिट्टी-शिल्प का काम करते हे।
धार-झाबुआ, मंडला-बैतूल, रीवा-शहडोल आदि मिट्टी-शिल्प में अपनी-अपनी
विशेषताओं के कारण प्रसिद्ध है।
काष्ठ शिल्प kasth shilp
काष्ठ
शिल्प की पंरपरा बहुत प्राचीन और समृद्ध है। काष्ठ से निर्मित मनुष्य के
आस्था-केन्द्र मंदिर और उसके निवास स्थापत्य कला चरम कहे जा सकते है
शिल्प की पंरपरा बहुत प्राचीन और समृद्ध है। काष्ठ से निर्मित मनुष्य के
आस्था-केन्द्र मंदिर और उसके निवास स्थापत्य कला चरम कहे जा सकते है
खराद कला khard shilp
मध्यप्रदेश
में खराद पर लकड़ी को सुड़ौल रूप देने की कल अति प्राचीन है। जिसमे खिलौनों
और सजावट की सामग्री तैयार करने की अनंत संभावनाए होती हे। प्रदेश के
श्योपुर, बुदनीघाट, रीवा, मुरैना की खराद कला प्रदेश नही बल्कि प्रदेश के
भाहर भी प्रसिद्धि है।
में खराद पर लकड़ी को सुड़ौल रूप देने की कल अति प्राचीन है। जिसमे खिलौनों
और सजावट की सामग्री तैयार करने की अनंत संभावनाए होती हे। प्रदेश के
श्योपुर, बुदनीघाट, रीवा, मुरैना की खराद कला प्रदेश नही बल्कि प्रदेश के
भाहर भी प्रसिद्धि है।
कंघी कला kanghi shilp
कंघी बनाने का श्रेय बंजारा जनजाति को है। मालवा में कंघी बनाने का काय्र उज्जैन, रतलाम, नीचम में होता है।
बाॅस शिल्प baas shilp
बाॅस
से बनी कलात्मक वस्तुए सौन्दर्यपरक और जीवनोपयोगी होती है। बैतूल, मंडला
आदि लोकांचल में विभिन्न जातियें के लोग अपने दैनिक जीवन में उपयोग के लिए
बाॅस की बनी कलात्मक चीजो का स्वयं आपने हाथों से निर्माण करते करते है।
से बनी कलात्मक वस्तुए सौन्दर्यपरक और जीवनोपयोगी होती है। बैतूल, मंडला
आदि लोकांचल में विभिन्न जातियें के लोग अपने दैनिक जीवन में उपयोग के लिए
बाॅस की बनी कलात्मक चीजो का स्वयं आपने हाथों से निर्माण करते करते है।
धातु शिल्प dhatu shilp
मध्य
प्रदेश के विभिन्न अंचलोें में धातु शिल्प की सुदीघ्र परम्परा है। प्रदेश
के लगभग सभी आदिवासी और लोकांचलो में के कलाकार पारम्परिक रूप से धातु की
ढलाई का कार्य करते हे। टीकमगढ़ की धातु कला की तकनीक का इतिहास अत्यन्त
प्राचीन है।
प्रदेश के विभिन्न अंचलोें में धातु शिल्प की सुदीघ्र परम्परा है। प्रदेश
के लगभग सभी आदिवासी और लोकांचलो में के कलाकार पारम्परिक रूप से धातु की
ढलाई का कार्य करते हे। टीकमगढ़ की धातु कला की तकनीक का इतिहास अत्यन्त
प्राचीन है।
पत्ता शिल्प pata shilp
पत्ता शिल्प के कलाकर झाडू बनाने वाले होते है। वह छिन्द पेड़ के पत्तो से कलात्मक खिलौने, चटाई, आसन आदि बनाते है।
कठपुतली kathputli
कथाओं और ऐतिहासिक घटपाओं को नाटकीय अंदाज में व्यक्त करने की मनोरंजक विघा कठपुतली है। कठपुतली लकड़ी और कपड़े से निर्मित होती है।
गुड़िया शिल्प gudiya shilp
नयी पुरानी रंगीन चिन्दियों और कागजों से गुड़िया बनने की परंपरा लोक कलाओं में देखी जा सकती ह। ग्वालियर अंचल की गुड़िया प्रसिद्ध है।
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छीपा शिल्प chipa shilp
कपड़ो
पर लकड़ी के छापों से छापे जाने वाले शिल्प को छीपा शिल्प कहतें है। बाग,
कुक्षी, मनावर, बदनावर, गोगांवा, खिराला ओर उज्जैन इसके मुख्य केन्द्र है।
पर लकड़ी के छापों से छापे जाने वाले शिल्प को छीपा शिल्प कहतें है। बाग,
कुक्षी, मनावर, बदनावर, गोगांवा, खिराला ओर उज्जैन इसके मुख्य केन्द्र है।
प्रस्तर शिल्प parstar shilp
मंदसौर, रतलाम, जबलपुर, ग्वालियर, सागर आदि इस शिल्प के केन्द्र माने जाते है। इसमें पत्थरो पर मुर्तिया इत्यादि बनाई जाती हे।
लाख शिल्प lakh shilp MP rupkar kalye
वृक्ष
के गोंद या रस से लाख बनाई जाती हैं लाख को गरम करके उमें विभिन्न रंगो को
मिलाकर अलग-अलग रंगो के चूड़े बनाए जाते है। उज्जैन, इंदौर, रतलाम, मंदसौर,
महेश्वर लाख-शिल्प के परम्परागत केन्द्रों में हे।
के गोंद या रस से लाख बनाई जाती हैं लाख को गरम करके उमें विभिन्न रंगो को
मिलाकर अलग-अलग रंगो के चूड़े बनाए जाते है। उज्जैन, इंदौर, रतलाम, मंदसौर,
महेश्वर लाख-शिल्प के परम्परागत केन्द्रों में हे।
महेश्वरी साड़ी maheshwari shari MP rupkar kalye
महेश्वरी साड़ी अनी बनावट, सजावट रंग इत्यादि के कारण पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह पर हाथ हेण्डलूम के द्वारा साड़ी बनाई जाती है।
चंदेरी साड़ी chanderis shari MP rupkar kalye
चंदेरी में बनने के कारण इस साड़ी का नाम ’चंदेरी साड़ी’ पड़ा। चंदेरी साड़ी सूती और रेशमी दोनो तरह की बनाई जाती है।
दोस्तो यह जानकारी मुझे बच्चो की मध्यप्रदेश बोर्ड की पाठ्-पुस्तक में मिली थी। जिसे मेंने आपके साथ साक्षा किया है।
आपको यह कहानी कैसी लगी कमेन्ट बाक्स में कमेन्ट जरूर करके बताइयेगा। आपके द्वारा दिए गये कमेन्ट हमे प्रात्साहित करते है।