Ola Electric in Problem, Stores of Company were Raided for Violation of Rules, Bajaj Auto, TVS Motor

Ola Electric in Problem, Stores of Company were Raided for Violation of Rules, Bajaj Auto, TVS Motor


बड़ी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियों में शामिल ओला इलेक्ट्रिक ने पिछले वर्ष के अंत में अपने रिटेल स्टोर्स की संख्या को लगभग चार गुणा बढ़ाया था। कंपनी के कई शहरों में स्टोर्स पर रूल्स के उल्लंघन के कारण ट्रांसपोर्ट अथॉरिटीज ने छापे मारे हैं। Ola Electric का शुरुआत में केवल ऑनलाइन सेल्स का मॉडल था। हालांकि, पिछले कुछ महीनों में कंपनी ने स्टोर्स  के जरिए सेल्स को बढ़ाया है। 

Bloomberg News की एक जांच में पाया गया है कि कंपनी के लगभग 3,400 स्टोर्स में से 100 से कुछ अधिक के पास मोटर व्हीकल्स एक्ट के तहत ट्रेड सर्टिफिकेट थे। इसका मतलब है कि ओला इलेक्ट्रिक के अधिकतर स्टोर्स के पास सर्टिफिकेशन नहीं है जिसकी जरूरत अन-रजिस्टर्ड टू-व्हीलर्स के डिस्प्ले, बिक्री या टेस्ट राइड की पेशकश के लिए होती है। कस्टमर्स की शिकायतों के मद्देनजर, कई राज्यों में ट्रांसपोर्ट अथॉरिटीज ने इन स्टोर्स पर छापे मारे हैं और व्हीकल्स को जब्त किया है। इसके अलावा ओला इलेक्ट्रिक को कारण बताओ नोटिस देकर प्रश्न पूछे गए हैं। 

मोटर व्हीकल्स एक्ट के तहत टू-व्हीलर्स सहित प्रत्येक ऑटोमोबाइल शोरूम के पास ट्रेड सर्टिफिकेट होना चाहिए।  Bloomberg News को कुछ लोकल ट्रांसपोर्ट अधिकारियों ने बताया है कि वे नियमों के कथित उल्लंघनों की वजह से ओला इलेक्ट्रिक की जांच कर रहे हैं। इससे पहले कंपनी को सर्विस में कमियों को लेकर कस्टमर्स की बड़ी संख्या में शिकायतों के कारण मुश्किल का सामना करना पड़ा था। सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने इस मामले की जांच की है। ओला इलेक्ट्रिक को कर्नाटक हाई कोर्ट से भी बड़ा झटका लगा था। CCPA की ओर से जारी किए गए एक नोटिस को हाई कोर्ट ने खारिज करने से मना कर दिया था। यह नोटिस कंपनी के खिलाफ जांच के हिस्से के तौर पर दिया गया था। इसमें कंपनी के इलेक्ट्रिक स्कूटर्स को लेकर कस्टमर्स की 10,000 से अधिक शिकायतों के बाद अतिरिक्त दस्तावेज मांगे गए थे। 

हाई कोर्ट ने कहा था कि यह नोटिस एक सक्षम जांच अधिकारी की ओर से जारी किया गया है और कंपनी को मांगे गए दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे। CCPA ने ओला इलेक्ट्रिक के खिलाफ बड़ी संख्या में शिकायतों की शुरुआती जांच की थी। इस जांच में कस्टमर्स के अधिकारों का उल्लंघन, भ्रामक विज्ञापन और सर्विस में कमियों का संकेत मिला थी। 
 

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