हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट (via बिजनेस स्टैंडर्ड्स) के अनुसार, X ने भारत सरकार के खिलाफ दायर की अपनी याचिका में IT एक्ट की धारा 79(3)(b) को चुनौती दी है। कंपनी का कहना है कि सरकार इस धारा का इस्तेमाल कर एक समानांतर कंटेंट ब्लॉकिंग सिस्टम बना रही है, जो सुप्रीम कोर्ट के 2015 के ‘श्रेया सिंघल’ फैसले का उल्लंघन करता है। इस फैसले में कहा गया था कि कंटेंट केवल किसी सक्षम अदालत के आदेश या IT एक्ट की धारा 69A की तय प्रक्रिया के तहत ही ब्लॉक किया जा सकता है।
भारत के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के मुताबिक, धारा 79(3)(b) के तहत किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को अवैध कंटेंट हटाना या उसकी पहुंच बंद करनी होगी, अगर उसे कोर्ट के आदेश या सरकारी नोटिफिकेशन के जरिए जानकारी मिलती है। ऐसा न करने पर 36 घंटे के भीतर उस प्लेटफॉर्म की ‘सेफ हार्बर’ सुरक्षा खत्म हो जाएगी, जिससे वह भारतीय दंड संहिता (IPC) समेत अन्य कानूनों के तहत कानूनी कार्रवाई के दायरे में आ सकता है। मंत्रालय ने 3 नवंबर 2023 को इस संबंध में एक आधिकारिक आदेश जारी किया था।
रिपोर्ट बताती है कि इसपर X ने कोर्ट में कहा कि सरकार को इस धारा के तहत कंटेंट ब्लॉक करने का अधिकार नहीं है, लेकिन सरकार इसका गलत इस्तेमाल कर रही है और धारा 69A के सुरक्षा प्रावधानों को दरकिनार कर रही है।
बता दें कि IT एक्ट की धारा 69A सरकार को यह अधिकार देती है कि देश की संप्रभुता, अखंडता, सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए किसी भी ऑनलाइन कंटेंट को ब्लॉक किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को 2009 में बनाए गए IT ब्लॉकिंग नियमों के तहत कंट्रोल किया जाता है, जिसमें ब्लॉकिंग आदेश जारी करने से पहले एक समिति समीक्षा करती है। सरकार पहले ही इस कानून के तहत कई ऐप्स और गेम्स को भी ब्लॉक कर चुकी है।
इतना ही नहीं, रिपोर्ट आगे बताती है कि X ने सिर्फ गलत तरीके से जारी किए गए ब्लॉकिंग आदेशों से सुरक्षा की मांग नहीं की है, बल्कि उसने Sahyog पोर्टल से जुड़े मुद्दे पर भी आपत्ति जताई है। यह पोर्टल इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) ने बनाया है, ताकि धारा 79(3)(b) के आदेशों को लागू करने की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सके। लेकिन X ने इसे “सेंसरशिप पोर्टल” करार दिया है और कहा है कि यह कानून के तहत अनिवार्य नहीं है।
कंपनी ने यह भी दावा किया है कि वह पहले से ही IT (मध्यस्थता दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) नियम, 2021 के तहत आवश्यक अधिकारियों की नियुक्ति कर चुकी है और Sahyog पोर्टल के लिए अलग से अधिकारी नियुक्त करने की जरूरत नहीं है।
17 मार्च को हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने कथित तौर पर कहा कि अगर सरकार X के खिलाफ कोई सख्त कदम उठाती है, तो X दोबारा कोर्ट का रुख कर सकता है। हालांकि, सरकार ने कोर्ट में यह साफ किया कि X के Sahyog पोर्टल से न जुड़ने पर उसके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई है।