There is no line of films after winning the beauty pageant | ब्यूटी पेजेंट जीतने के बाद फिल्मों की लाइन नहीं लगती: पूर्व मिस इंडिया अलंकृता सहाय बोलीं- सुस्मिता सेन और प्रियंका चोपड़ा का अलग जमाना था

There is no line of films after winning the beauty pageant | ब्यूटी पेजेंट जीतने के बाद फिल्मों की लाइन नहीं लगती: पूर्व मिस इंडिया अलंकृता सहाय बोलीं- सुस्मिता सेन और प्रियंका चोपड़ा का अलग जमाना था


भोपाल3 घंटे पहलेलेखक: इंद्रेश गुप्ता

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2014 में मिस इंडिया का खिताब जीतने वाली मॉडल अलंकृता सहाय एक्टिंग में भी सक्रिय हैं। उन्होंने 2018 में फिल्म “लव पर स्क्वायर फुट’ से बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने “नमस्ते इंग्लैंड’, “टिप्सी’ जैसी फिल्मों में काम किया है। हाल ही में अलंकृता ने दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान अपने नए प्रोजेक्ट्स और करियर को लेकर बात की।

ब्यूटी पेजेंट जीतने के बाद क्या फिल्मों के ऑफर्स की लाइन लग जाती है?

ऐसा नहीं है। मैं मिस इंडिया जीती थी तो मेरी कोई इंटेंशन नहीं थी एक्ट्रेस बनने की। बहुत किस्मत से और गॉड ग्रेस से मैं जीतकर आई। फिर मैंने मॉडलिंग शुरू की। कुछ गाने किए, बहुत सारे वीडियो कमर्शियल किए। करीब 300 ब्रांड्स के साथ काम किया। उसके बाद मैंने विक्की कौशल और अर्जुन कपूर के साथ फिल्म की, दुर्भाग्य से कोविड आ गया। उसके बाद हमारे एक डायरेक्टर के देहांत हो गया। जो हमारी फिल्म थी ‘डेड गर्ल डोन्ट टॉक’ वह पूरी होने के बावजूद भी रिलीज नहीं हो पाई।

इस बीच मेरे पिता का देहांत हो गया। तब मैं बहुत टूट गई थी। उसके बाद मैंने ब्रेक लिया था। फिर मेरी फिल्म ऑस्कर तक पहुंची तो वह मेरे लिए काफी खुशकिस्मती की बात थी। उसके बाद मैंने एक फैंटसी शो जियो के साथ किया। अभी मैंने पॉलिटिकल ड्रामा सीरीज पूरी की है। तो मेरी जर्नी सेपरेट है। आई थिंक सभी एक्टर्स की सेपरेट होती है। तो जितनी भी मिस इंडिया है या मिस यूनिवर्स हैं, एक टाइम में सुष्मिता मैडम थीं, प्रियंका चोपड़ा थीं, वो जमाना अलग था। तब मिस इंडिया को जो दर्जा दिया जाता था वह अलग था। उन्हें खास रिस्पेक्ट मिलती थी।

क्या सोशल मीडिया से भी उभरने वाले कलाकारों से कोई कॉम्पिटिशन है?

आज कॉम्पिटिशन में सिर्फ हमारे एक्टर्स नहीं है। हमें इंस्टाग्रामर्स, ब्लॉगर से हर टाइप का कॉम्पिटिशन मिलता है, जो एक्टर-एक्ट्रेस एक-दूसरे के साथ कंपीट कर रहे हैं। और फिर मानुषी छिल्लर तो मिस वर्ल्ड हैं। तो ऐसे टाइटल जब आप जीतते हैं तो ऑटोमेटिकली दरवाजे खुल जाते हैं। मुझे कभी बुरा नहीं लगता कि अगर मेरी कोई काउंटर पार्ट अचानक से उन्हें कोई मैनेजमेंट अच्छी मिल गई, जो उनको अच्छे से प्रमोट करती है।

इसका फायदा बहुत होता है। हमारे मिस इंडिया को तो जरूरी ये है कि जीतने के बाद आपकी टीम कैसी है? कैसे लोग आप आपको पुश करते हैं, किस तरीके से आपके मैनेजमेंट आपको काम दिलाती है। तो इन चीजों की मुझे पहले समझ नहीं थी। आज के टाइम की गर्ल्स बहुत स्मार्ट हैं। अच्छा काम करती हैं, उनकी टीम इतनी स्मार्ट है, उनको नेविगेट करना सिखाया जाता है। तो जब मैंने शुरू किया था तो मुझे इंडस्ट्री की कोई जानकारी नहीं थी।

मॉडलिंग के जरिए जो युवतियां इंडस्ट्री में आने का ख्वाब देखती हैं, उन्हें क्या सलाह देंगी?

मैं ये बात कहना चाहूंगी सभी के लिए, इवेन मीडिया को भी बताना चाहूंगी कि मिस इंडिया बनते ही फिल्मों की लाइनें नहीं लगती हैं। जब आप किसी मैनेजमेंट टीम का हिस्सा बनते हैं तो वो मैनेजमेंट टीम आपको बेस्ट एंड बेस्ट प्रोजेक्ट दिलाती है। फिर आपको ब्रांड्स के साथ काम मिलता है। आपका नाम, आपकी शोहरत, उसका खिताब जरूर आपको मिलता है। एक गॉड गिफ्ट मिलता है यूनिवर्स से आपको। कहते हैं न कि जब आप कुछ बन जाते हैं तो उससे आपकी किस्मत चमकती है। अकेला बंदा कभी आगे रेस में नहीं जीता। पूरी टीम होती है आपके पीछे, जो आपको बनाती है। इसलिए मैं हमेशा कहती हूं कि टीम वर्क के बिना ड्रीम वर्क नहीं होता।

जैसे मॉडलिंग की दुनिया के जरिए लोग फिल्मों में आते हैं। तो आपका क्या बचपन से एक्टिंग का रुझान रहा है?

नहीं, मैं बचपन में एक आईएएस बनाना चाहती थी पर जब मैं स्कूल में ही थी तो मुझे दूरदर्शन ने अपने एक शो में लिया। उसके बाद मैं अपने स्कूल में एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी में एक्टिव थी। स्कूल की हेड गर्ल थी। मैंने कई परफॉर्मेंस एनुअल डे, स्पोर्ट्स डे, नुक्कड़ नाटक या इवेंट्स में दिए। उनके कारण मेरे प्रिंसिपल, टीचर सब ने मुझे पुश किया। उसके बाद में मिस नॉएडा बनी 13 साल की उम्र में। तो एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज बचपन से ही कर रही थी,जबकि साथ में पढ़ाई भी कर रही थी।

लेकिन बीच में जब मैं अपनी जॉब करना चाहती थी तो मेरा मन किया कि मैं मुंबई में काम करूं, लेकिन यहां की हवा इतनी अलग है कि मैं इस इंडस्ट्री की ओर पुश हुई। जॉब के साथ मैं मिस इंडिया की ओर पुश हुई। वहां से मौके मिले। तो जो मैं इंडिया के लिए करना चाहती थी वो मैंने किया ,लेकिन एक बहुत अलग वे में। एक ब्यूटी पैशन के जरिए मैं इंडिया के लिए इंटरनेशनली जीत कर आई।

आपका फिल्मी लाइनअप कम क्यों है?

मुझे काम की कमी नहीं है। मैंने अभी साउथ में भी एक गाने के जरिए डेब्यू किया है। हां, मीडिया के हिसाब से होता है कि जब तक हम एक प्राचीन प्रकार की स्थिति पर नहीं पहुंच जाते या हमारा हर दिन मीडिया में नाम नहीं छपता, हमारे पास बड़ी फिल्म्स नहीं हैं तो हम काम ही नहीं कर रहे। मेरे लिए सक्सेस रेट इस पर डिपेंड नहीं करती। मेरे लिए सक्सेस ये है कि मेरे पास अच्छा घर है। परिवार खुश है। रोटी कपड़ा, मकान है, अच्छे मौके हैं, मैं अच्छे लोगों से जुड़ी हुई हूं और मैं रात को जब चैन की नींद सोती हूं, बिना किसी के प्रॉब्लम के या बिना किसी इश्यू के तो वह सबसे अधिक मायने रखता है। हां मैं कुछ साल पीछे जरूर हूं क्योंकि पिता की डेथ के बाद टूट सी गई थी पर मैंने अपनी विल पॉवर कम नहीं होने दी।

इन दिनों आप किस प्रोजेक्ट में काम कर रही हैं?

मैंने साउथ के दो प्रोजेक्ट्स किए हैं। अभी गोक कलर्स का कैंपेन भी किया है। मेरी अभी एक पॉलिटिकल सीरीज भी रिलीज होनी है, जो शाहनवाज सर ने डायरेक्ट की है। अभी तो उन्होंने प्रोजेक्ट को ‘पति पत्नी और कांड’ नाम दिया है पर वह नाम चेंज करेंगे।

किस तरह का काम करना चाहेंगी? कौन सा जॉनर आप पसंद करती हैं?

मैं सब कुछ करना चाहूंगी। हर जॉनर पसंद है। एक्शन भी बहुत अच्छा करती हूं। मैं स्क्रीन पर कॉप का रोल भी करना चाहूंगी। गर्ल नेक्स्ट डोर वाले रोल भी करने हैं। मैं ऐसे रोल भी करना चाहूंगी जो हॉट प्रिटी गर्ल के न हों।

मॉडलिंग से लेकर फिल्मों में आने तक कैसे चैलेंजेस फेस किए?

ज्यादातर लोग सोचते हैं कि मॉडलिंग में या फिल्मों में कास्टिंग काउच होता होगा लड़कियों के साथ, पर ऐसा नही हैं। हालांकि एक पंजाबी प्रोड्यूसर के साथ मुझे काम मिल रहा था जो ज्यादा ही ओवरस्मार्ट बन रहे थे तो मैंने वो फिल्म छोड़ दी। मैंने कहा, मैं मौका छोड़ सकती हूं, लेकिन अपनी डिग्निटी और रिस्पेक्ट नहीं। ना पैसे के लिए मैं काम करती हूं। मैं सिर्फ नाम के लिए काम करती हूं।

बॉलीवुड में आज तक कभी मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं आई। एक बार बड़ी एक्ट्रेस के साथ रिप्लेसमेंट जरूर हुआ है। आज तक कभी कोई ऐसी प्रॉब्लम नहीं आई है कि कोई मुझे तंग करे और मुझे किसी लेवल पर जाकर उसे सबक सिखाना पड़े। जहां सिखाना था, वहां जरूर मैंने मुंह तोड़ जवाब दिया।



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