satpura range :
आप सभी ने आज तक पूर्वी क्षेत्र से पंचमढ़ी और धूपगढ तथा होशगाबाद में satpura nationlapark/satpura tigre reserve के रूप में satpura range का वर्णन सुना होगा किन्तु मै आज आपको पश्चिमी क्षेत्र से सतपुड़ा से परिचय करता हु।
मध्य प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में satpura range का विस्तार का अंतिम छोर जिला बड़वानी मे समाप्त होता है। यहा पर शहर से 1 किलो मीटर दूर पर्वत श्रृखला है। तथा नर्मदा तट से लगभग 5 किलो मीटर दूर पर्वत श्रृखला है। यहा पर गर्मी में तापमान दिन में अधिक होता है किन्तु रात में तापमान में थोड़ गिरावट हो जाती है।
तो चलिए अब हम satpura range की बात करते है।
satpura national park / satpura tiger reserve
जिस प्रकार पुर्वी क्षेत्र में पंचमढ़ी और धूपगढ तथा होशगाबाद में satpura national park / satpura tigre reserve मे पर्वत अपनी सुन्दरता बिखेरता है। उसी प्रकार पश्चिमि क्षेत्र में भी पर्वत अपनी सौंर्दयता का बखान करता है। पुर्वी क्षेत्र में सतपुड़ा सुबह सूरज की लालिमा को संजोता है। उसी प्रकार पश्चिम में भी सुरज की सालिनता को संजोये रखता है।
वैसे यदि पर्वत की प्राकृतिक सौंर्दयता का आनन्द लेना हो तो वर्षा ऋतु का मौसम बहुत उचित होता है। वर्षा ऋतु में पर्वत बहुत ही हरा–भरा हो जाता है। मानो प्रकृति ने एक हरी चादर सी ओढ़ा दी हो। पर्वत वर्षा ऋतु में आत्मिय शांती का अनुभव करता है।
वर्षा ऋतु में बादल पर्वत की शेर के लिए नीचे उतरते है, तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे पर्वत का बखान करने आये हो। शाम के समय पर्वत पर भोर सी छा जाती है। जिससे यह प्रतीत होता है मानो पर्वत शयन करने के लिए जा रहा हे।कभी–कभी वर्षा ऋतु में बादलो के बीच से जगह बनाते हुये सुरज की किरणे प्रकृति की सुन्दरत को मानो रोशन करने आयी हो ऐसा प्रतीत करती है।
अभी तक हमने पर्वत का बखान किया है लेकिन अब मैं आपको पर्वत श्रृखला के प्रमुख दर्शिनीय स्थलो को बारे में बताता हु।
वैसे तो पर्वत की हर एक चोटी दुर्लभता को व्यक्त करती है फिर भी कुछ विशेष दर्शनीय स्थल है जो पर्वन की सून्दरता में चार–चांद लगा देते है।
satpura range video
- नागलवाड़ी धाम nagalwandi dham
नागलवाड़ी धाम बड़वानी जिले के ग्राम ओछर के समीप है यह जिले से लगभग 60 किलो मीटर दूर और इन्दौर–मुम्बई एबीरोड़ से 20 किलो मीटर दूर पूर्वी दिशा में स्थिति है। यहा पर सैकड़ो वर्षो से शिखरधाम नाम से प्रसिद्ध पर्वत है। जहा पर बाबा भिलट देव का वास है। इस पहाड़ी को बाबा भिलट देव ने तपस्या हेतु चुना था। जिसकी ऊचाई जमीन तल से लगभग 2 किलो मीटर है।
प्रतिवर्ष नामगपंचमी पर भव्य मेलो का भी आयोजन होता है। वैसे तो पुरे वर्ष यहा भक्तो का आना–जाना होती है लेकिन श्रावण मास में अधिक रहता है क्योकि श्रावण मास में आपको यह प्रकृतिक आनन्द की प्राप्ति होती है।
यहा पर अधिकाश बादलो का पर्वत पर भ्रमण होता है। जब पर्वत पर बादल भ्रमण उतरते है। नीचे से ऐसा लगता है मानो पर्वन ने शिखर को अपने में समाहित कर लिया हो। जब कोई व्यक्ति यहा पर एक बार जाता है तो उसका मन बार–बार जाने को ही करता है।
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बावनगजा bawangaja
जब मंदिर के लिए बड़वानी से निकलते है तो पुरा रास्ता पवर्त स होकर गुजरात हुआ पर्वत की सुन्दरता का दर्शन करता है। यहा बीच रास्ते में एक ग्राम जिसका नाम नानी बड़वानी है वहा पर एक तलाब है तथा छोटे से जिसकी ऊंचाई लगभग 500 फीट होगी उस पर भी मंदिर बने है। रास्ते में बीच में 1 छोटा क्षरना जिसकी ऊंचाई लगभग 100 फीट होगी स्थित है। जो वर्षा ऋतु के दिनो में पानी गिरता है जो अत्यत मन को पुलकित करता है। बावनगजा के शिखर से मा नर्मदा जी के दर्शन भी होते है। वहा से शहर की सुन्दरता भी दिखाई देती है।
- नगरीमाता nagrimata
यह बड़वानी जिले के शहर अजड़ के बीच में स्थित है। वहा से शहर अजड़ की सुन्दरता का स्मरण होता है तथा हवाओ के झोके दर्शनार्थीयो के मन को पुलकित करती है।
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तोरणमाल toranmal
वैसे तोरणमाल महाराष्ट्र राज्य में लगता है किन्तु सतपुड़ा की पर्वत श्रृखला बड़वानी जिले में भी आती है। तोरणमाल में बाबा भोलेनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है जहा शिवरात्रि को विशेष मेले का आयोजन होता है।
निमाड़ क्षेत्र सम जलवायु में होने से यहा वर्षा ऋतु में पर्वत श्रृखला का प्राकृति आनन्द प्राप्त होता है।
तो दोस्तो मैने मेरे नजरीये से आपको पर्वत श्रृखंला का वर्णन बताया। यह जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट बाक्स में कमेंट जरूर कर के बताइएगा। ताकि मै आपके सामने और ऐसी जानकारीया प्रस्तुत करते रहू।
FAQ :-
highest peak of satpura range – PANCMADI
queen of satpura :-
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