म.प्र. के प्रमुख MP gk hindi
मध्य प्रदेश में क्षेत्र के अनुसार लगने वाले महत्वूपर्ण मेलो की जानकारी।
MP MELE |
निमाड़ क्षेत्र
सिंगाजी का मेलाः- यह मेला खण्डवा जिले के ग्राम पिप्लया में सिंगाजी ग्राम मं प्रतिवर्ष आश्विन शुक्ल पूर्णिमा से सात दिन तक लगता है। यह मेला एक बड़े हाट के रूप में लगता है। सिंगाजी एक दैवीय शक्ति सम्पन्न व्यक्ति थे। सिंगाजी पशु रक्षक लोक देवता के रूप में भी जाने जाते हैं।
कालू जी महाराज का मेलाः- यह मेला खरगौन जिले के ग्राम पिपल्या खुर्द में लगता है। यह मैला तीस दिन तक लगाता है।
ओंकारेश्वर का मेलाः- यह कार्तिक पूर्णिमा पर ओंकारेश्वर जिला खण्डवा में लगता है।
नवग्रह मेलाः- यह मेला खरगोन में नवग्रह मंदिर के पास लगता है।
मध्यप्रदेश के उर्दु साहित्यकार MP KE URDU SAHITYKAR mp gk
मालवा क्षेत्र
सिंहस्थ महाकुम्भ मेलाः- यह मैला प्रति 12 वर्ष में उज्जैन में लगता है। एक पौराणिक आख्यान के अनुसार देव और दानवों ने एक बार पारस्परिक सहयोग से समुद्र का मंथन किया। समुद्र-मंथन से एक अमृत भरा कलश निकला। अमृत के लिए देव व दानव में 12 दिन संघर्ष हुआ, जो पृथ्वी की गणना से बारह वर्ष के समतुल्य था। अमृत की छीनाझपटी से अमृत कलश से कुछ बूंदे छलककर चार स्थानों पर गिर गई। यह स्थान थे-प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। तथी से इन चारों स्थानों पर महाकुम्भ का मेला लगने लगा।
भोजपुर का शिवरात्रि का मेलाः- रायसेन जिले के ग्राम भोजपुर में बेतवा नदी के किनारे एक प्राचीन विशाल शिवमंदिर है। राजा भोज द्वारा निर्मित कराए गए इस भव्य एवं विशाल मंदिर का द्वार लगभग पचास फुट ऊॅचा है। इसकी 21.5 फुट वर्गाकार जलहरी पर साढ़े सात फुट ऊॅचा शिवलिंग प्रतिष्ठित है। यहा प्रतिवर्ष शिवरात्रि तथा मकर संक्रान्ति को मेला लगता है।
उदयपुर का शिवरात्रि मेलाः- विदिशा जिले के बासौदा तहसील में एक छोटा-सा गाॅव उदयपुर है। यॅहा प्राचीन विशाल शिव मंन्दिर है। इसका निर्माण मालवा के परमार शासन उदयादित्य ने कराया था। इसके निर्माण के 21 वर्ष लगे थे। मंदिर के प्रांगण में प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि का मेला लगता है।
बाबा शहाबुद्ीन औलिया का उर्सः- यह उर्स नीमच में बाबा शहाबुद्ीन औलिया की दरगाह पर प्रतिवर्ष 21 से 24 अप्रैल तक धूमधाम से लगता है।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र
सनकुआ मेलाः- बुन्देलखण्ड क्षेत्र में दतिया जिले के अंतर्गत सेवढ़ा तहसील में सनकुआ नामक सुरम्य स्थल पर प्रतिवष कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को यह मेला लगता है।
मंतगेश्वर महादेव (खजुराहो) को मेलाः- मतंगेश्वर शिव का ही एक संबोधन है। यह मंदिर खजुराहो के मंदिरों में एक है। शिवरात्रि में यहा मेला लगता है। मान्यता यह है कि मेला चन्देल शासकों के समय से ही चलता आ रहा है।
तेजाजी का मेलाः- लोकदेवता तेजाजी के सम्मान में अनेक स्थानों पर मेले लगते है। इनमें गुना जिले के भामावद गाव में विशाला मेला लगता है। जो सौ वर्षो से भी अधिक भाद्रपद शुक्ल दशमी पर लगता आ रहा है।
कुण्डेश्वर का मेलाः- यह मेला टीकमगढ़ जिले से लगभग 5 किलोमिटर दूर कुण्डेश्वर में लगता है।
सोनागिरी का मेलाः- सोनागिरी दतिया से लगभग 9 किलोमीटर दूर स्थित है। यहाॅ प्रतिवर्ष चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से रंगपंचमी तक विशाल मेला लगता हे।
धमोनी उर्सर:-सागर जिले के धमोनी नामक स्थान पर बाबा मस्तान अली शाह की मजार पर अप्रैल.मई में यह उर्स लगता है।
बघेलखण्ड क्षेत्र
मैहर वाली माता मेलाः- विन्ध्य क्षेत्र की ऊॅची पहाड़ी पर सतना जिले में मैहर नामक स्थान पर माॅ शारदा का सिद्धपीठ पर मेला लगता है।
अमरकण्टक का मेलाः- शहडोल जिले में अमरकण्टक नामक स्थान पर प्रतिवर्ष यह मेला शिवरात्रि के अवसर पर लगता है।
मध्य प्रदेश की रूपंकर कला MP rupkar kalye-mp gk in hindi