वो कहते है ना कि हम लाख अच्छे हो लेकिन हमारी संगत बुरी हो तो दुनिया भी हमे बुरी ही समझती है कई बार-बार बुरी संगत अच्छे व्यक्ति को भी बदनाम कर देती है तो आइए दोस्तो में आज आपके सामने संगत के फल के ऊपर एक बहुत ही अच्छी कहानी खोज कर लाया हूॅ। यह कहानी जिसने भी लिख बहुत खुब लिखी है
प्रेरणा दायक कहानी
एक बार की बात है, एक पेड़ पर एक कौवा और बंदर रहते थे वह दोनो बहुत अच्छे मित्र थे | एक बार पछियो को यह सूचना मिले, गरुड़ भगवान सागर तट पर पधार रहे हैं तो सब पक्षी इकट्ठे होकर सागर तट की और चल दिए यह सुनकर कौवा और बंदर के मन में भी भगवान के दर्शन करने की चाह हुई तो फिर कौवे ने कहा चलो मित्र अपन भी भगवान के दर्शन करने चले तो बंदर इस पर कहां चलना चाहिए |
जिस मार्ग से वह भगवान के दर्शन करने जा रहे थे, उस मार्ग पर एक ग्वाला जा रहा था उसके सिर पर दही की मटकी रखी हुई थी | कौवा उड़ते-उड़ते जा रहा था तो कौवे की नजर ग्वाले की मटकी पर पड़ी | तो उसको उसमें दही दिखा | दही देकर उसके मुंह से पानी आने लग गया कौवे के मन मैं दही खाने की इच्छा होगी वह दही खाने के लालच में यह भूल गया कि इस समय गरूर भगवान के दर्शन करने के लिए जा रहे हैं |
कौवा दही खाने नीचे उतरा वह बार-बार दही खाने के लिए नीचे जाता और खाकर ऊपर आ जाता | ग्वाले एहसास होता है कि कोई मेरा दही खा रहा है वैसे तो कौवा बहुत चालाक होता है वह बार-बार 2-4 चोच दही में मारता और उड़ जाता और थोड़ी देर के बाद फिर आ जाता बंदर ने यह देखकर कौवे को कहा यह करना गलत है परंतु कौवा कहां किसी की बात सुनता वह तो सदा यही सोचता है कि मुझसे बड़ा कोई बुद्धिमान नहीं|
ग्वाला ने कई बार चलते चलते हाथ उठाकर चोर को पकड़ने की चेष्टा की किंतु दही चोर नहीं पकड़ाया तो उसने चलते चलते सोचा अब तो इस दही चोर को पकड़ना ही पड़ेगा तो वह नदी के किनारे एक जगह पर रूक गया उसके पीछे पीछे कौवा भी रूक गया उसने दही का मटका उतार कर एक बड़े पत्थर पर रख दिया और आसपास देखा ऊपर पेड़ पर बंदर और कौवा बैठा था तो वाले ने सोचा चोर यही दोनों है किंतु उसे पूर्ण विश्वास नहीं था वह उनकी नजरों से बचते हुए छुप गया|
कौवे को लगा ग्वाला पानी-पीने चले गया वह नीचे दही खाने आया और दो चार चोच मार कर वापस पेड़ चला गया ग्वालियर को या देख कर गुस्सा आया उसके पास एक पत्थर पड़ा था उसने उसे उस पत्थर को उठाया और और दोनों की तरफ जोर से फेंका कौवे ने पत्थर आते देख शीघ्र उड़ गया किंतु बंदर हाथ नहीं पाया और बंदर को वह पत्थर लग गया और वह जोर से चिल्लाते हुए नीचे गिर गया और वहां कौवे की ओर देखकर बोला पापी कौवे तूने मुझे बेकार में मरवा दिया |
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MORAL OF THE STROY
इसलिए कहते हैं कि छल कपट ही व्यक्ति के साथ या बुरी संगत वाले के साथ आप भी उसी के सामान समझे जाते हैं और आप अपने लक्ष्य से भटक सकते हैं