Ser Ke Uper Sava Ser in hindi kahaniya
दोस्त कई बार आपको ऐसे व्यक्ति मिलते होगे जो अपने आप को बहुत चतुर (बुद्धिमान) और दूसरो को मूर्ख समझते है। वह समझते है कि हमारे से बड़ा कोई चतुर (बुद्धिमान) नही है किन्तु आपको पता है कि कभी-कभी NEHLE PER DEHLA पड़ ही जाता है।
तो मैं आपके सामने लेखिका नीमल राकेश जी की अनोखी छुट्टियो एक कहानी से मिलती जुलती कहानी लेकर आया हूॅ। जो गाॅव में हमारे बुजुर्ग लोग कहते है।
एक गाॅव में एक आदमी रहता था। जिसका नाम तेजबहादुर था वह अपने को बहुत चुतर समझता था। लोगों को ठगना उसका धन्धा था। लोग अपनी शराफत के कारण कोई उसे कुछ नहीं कह पाते थे। जिसके कारण उसे भ्रम हो गया था कि वह बहुत बुद्धिमान है और उसकी चुतराई के आगे काई टीक नही पाता है । इसलिए लोग मूर्ख बन जाते थे।
उसके दिमाग में लोगो को ठगने की नित योजनाए बनाता रहता था।
एक दिन जब वह दोपहर में बाजार से समान लेकर घर वापस आ रहा था। तो उसने देखा कि उसके आगन में लगे पड़े के नीचे विश्राम करते हुये एक आदमी देखा।
तो उस अजनबी को देख कर उसके दिमाग में योजना बनी। आज इस अजनबी को ठगा जाए। वह अजनबी के पास जाता है और पूछता है तुम कौन हो और क्या कर रहे हो ? अजनबी बोला मैं परदेशी हूॅ नौकरी की तलाश में आया हूॅ।
नौकरी नही मिलने पर तेजधुप के कारण इस घने पेड़ की शीतल छाया में विश्राम करने आ गया। तो तेजबहादूर बोला ठीक है करो आराम लेकिन इस पेड़ कि छाया का किराया देना होगा।
इस पर अजनबी बोला पेड़ कि छाया का किराया! वो क्यो दूॅ तब इस पर तेजबहादूर जोर-जोर से बोलता है कि यह पेड़ मेरेआगन में लगा है और पेड़ मेरा है तो इसकी छाया भी मेरी होगी। तो इसका किराया 50 रू जल्दी दो। इतने में सारे लोग इक्ठे हो जाते है और वह सब सुनते है।
फिर अजनबी बोलता है कि मैं भाई थोड़ी देर में चले जाऊगा। इस पर तेजबहादूर बोलता है नही इसका किराया तो देना होगा। तो अजनबी सोचता है यह अपने आप को ज्यादा चुतर समझ रहा है | अजनबी बोला ठीक है मै 5 दिन इस पेड़ की छाया में रहुगा कितना हुआ। सोचता है अरे वाह! मै तो इससे केवल एक दिन के पैसे ले रहा था। मेरा तो और फायदा हो गया , बोलता है कि 1 दिन का 50 रू यानी 250 रू । तब अजनबी उसे पैसे दे देते है।
सभी चले जाते है। फिर क्या होता है कि पेड़ कि छाया आगन से उसके घर के अन्दर चले जाती है अजनबी अन्दर जा कर बैठ जाता है तो इस पर तेजबादूर कहता तुम यहा क्या कर रहे हो तो इस पर अजनबी बोलाता है कि आपने मुझ से छाया का किराया लिया है और छाया आपके घर में आ गई।
इसके बाद फिर छाया उसके खिड़की से किचन की ओर चली गई वह किचन में जा कर बैठ जाता है और शाम हो जाती है। अजनबी बाहर आ जाता है और शाम को पेड़ के समीप लाइट लगे होने से रात वही कटता है।
फिर वापस सुबह होती है अजनबी वही सिलसिला फिर से प्रारंभ करते हुये दोपहर में तेजबाहदूर के घर पर छाया जाने से वह वहा जाता है। इस पर तेजबहादूर परेशान हो जाता है और जोर-जोर से चिलाता है जिससे सब लोग इकठे हो जाते है। सब के सामने तेजबादूर अजनबी से कहता है कि तुम अपने पैसे ले लो और चले जाओ मुझे किराये से छाया नही देने है।
इस पर अजनबी कहता है मैने तुम्हे 5 दिन के अग्रीम राशि दी है मै तो 5 दिन रहुगाॅ नही तो उस और वह नही मानता फिर तेजबहादूर उसके हाथ पैर जाड़ कर सबके सामने निवेदन करता है और सभी को देखते है लेकिन कोई भी उसकी मदद नही करते क्यो कि सभी उसके बारे में जानते थे।
अतं में अजनबी बोलता है कि आप मुझ मेरे अग्रीम का दोगूना दो अन्यथा मैं नही जाऊगा। तब तेजबादुर अजनबी को 500 रू देता है।
तो इस प्रकार दोस्तो कभी-कभी शेर को भी सवा शेर मिल जाता है।